कैलीफोर्निया। वैज्ञानिकों Scientists ने दुनिया का नया नक्शा बना लिया है , दरअसल अब तक प्रचलन में दुनिया के जितने भी मानचित्र हैं, उनमें कुछ न कुछ खामियां हैं। किसी में महाद्वीपों के आकार को विकृत कर दिया गया है तो किसी में उसके क्षेत्रफल से छेड़छाड़ की गई है।
खामी को दूर करते हुए Scientists ने
इस खामी को दूर करते हुए Scientists वैज्ञानिकों ने पृथ्वी का नया नक्शा तैयार किया है। इसे ईक्वल अर्थ नाम दिया गया है। वैज्ञानिक इसे अब तक का सबसे सटीक मानचित्र मान रहे हैं। कैलीफोर्निया के एनवायरमेंटल सिस्टम्स रिसर्च इंस्टीट्यूट के बोजन सावरिक, मिलवॉकी स्थित नॉर्थ अमेरिकन कार्टोग्राफिक इंफोर्मेशन सोसायटी के टॉम पैटर्नसन और मेलबर्न की मोनाश यूनिवर्सिटी के बर्नहार्ड जेनी ने मिलकर इस नक्शे को तैयार किया है। तीनों ने नया नक्शा इसलिए बनाया क्योंकि 2017 में अमेरिका के मैसाच्युसेट्स में बोस्टन पब्लिक स्कूल गॉल-पीटर नक्शे को महाद्वीपों के सटीक आकार वाले मानक नक्शे के तौर पर स्वीकार करने जा रहा था।
तकरीबन पांच शताब्दियों से यह नक्शा बड़े स्तर पर इस्तेमाल होता आ रहा है। हालांकि यह भूमध्य रेखा से दूर के क्षेत्रों को उनके वास्तविक आकार से बड़ा दिखाता है। इसे 1569 में जेरार्डस मर्केटर ने बनाया था। इसे समुद्री यात्राओं में रास्ता देखने के लिए बनाया गया था। लेकिन इसमें महाद्वीपों का क्षेत्रफल गलत दिखाया गया है।
उदाहरण के तौर पर स्कैंडिनेवियाई देशों को भारत से बड़ा दिखाया गया है जबकि भारत सभी स्कैंडिनेवियाई देशों के कुल क्षेत्रफल से तीन गुना बड़ा है। नक्शे में ग्रीनलैंड अफ्रीका से बड़ा दिखाई देता है, जबकि असल में अफ्रीका का क्षेत्रफल ग्रीनलैंड से 14 गुना अधिक है। ब्राजील अलास्का से पांच गुना बड़ा है लेकिन नक्शे में अलास्का ब्राजील से बड़ा दिखता है।