चारों तरफ से आर्थिक संकट का सामना कर रहे जर्जर पाकिस्तान का रेलवे विभाग भी कंगाल हो चला है। मौजूदा वित्त वर्ष की पहली छमाही में ही उसका शुद्ध घाटा 24 अरब रूपये के पार हो चुका है।
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हालांकि सरकारी आंकड़े में यह घाटा तीन अरब ही बताया जा रहा है। आमदनी और खर्चे के अंतर की बात करें तो इसका अंतर करीब 50 फीसदी का है।
एक रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान के कानून और न्याय राज्यमंत्री शहादत अवान ने मंगलवार को संसद के ऊपरी सदन सीनेट को बताया कि पाकिस्तान रेलवे ने 52.99 अरब रुपये के खर्च के मुकाबले चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में संचालन के माध्यम से सिर्फ 28.263 अरब रुपये ही कमाए हैं।
मंत्री की दलील को बलूचिस्तान अवामी पार्टी के सीनेटर दानेश कुमार ने खारिज करते हुए कहा कि रेलवे ने आंकड़ों को तोड़-मरोड़ कर पेश किया है। कुमार ने कहा कि रेलवे का कुल घाटा 24.727 अरब रुपये का है, जबकि सिर्फ 3 अरब रुपये बताया जा रहा है। दो महीने पहले ये भी रिपोर्ट आई थी कि पाकिस्तान रेलवे तेल की भारी कमी झेल रहा है। इसकी वजह से परिचालन प्रभावित हुआ है।
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बता दें कि पिछले साल बाढ़ आने की वजह से रेलवे संपत्ति को बड़े पैमाने पर नुकसान पहुंचा है। बाढ़ का जिक्र करते हुए मंत्री ने भी कहा कि आपदा की वजह से ट्रेन संचालन 35 दिनों से अधिक समय तक निलंबित रहा। इससे न केवल राजस्व का नुकसान हुआ, बल्कि रेलवे के संसाधन भी बर्बाद हुए हैं। इससे घाटा का अंतर और बढ़ा है।
जमात-ए-इस्लामी के मुश्ताक अहमद के एक सवाल के जवाब में मंत्री ने कहा कि रेलवे के खर्च का 35% हिस्सा पेंशन और 33% वेतन पर होता है। उन्होंने कहा कि रेलवे को केंद्र सरकार से सहायता अनुदान के रूप में 21.75 अरब रुपये की सब्सिडी मिली है। मंत्री ने सदन को बताया, “1 जुलाई से 31 दिसंबर, 2022 की अवधि के लिए रेलवे का शुद्ध घाटा 2.977 अरब रुपये है।”