Breaking News

विश्वविद्यालयों को आउट कम बेस्ट एजुकेशन के मापदंड तय करने की आज़ादी होनी चाहिए- प्रो मनोज दीक्षित

लखनऊ। केएमसी भाषा विश्वविद्यालय में आज नेशनल एजुकेशन पॉलिसी 2020 आउटकम बेस्ड एजुकेशन पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन विश्वविद्यालय कुलपति प्रो एनबी सिंह की अध्यक्षता में किया गया, जिसमें विभिन्न विश्विद्यालयों के कुलपतियों ने विश्वविद्यालय शिक्षकों एवं स्टूडेंट्स के साथ एनपीपी 2020 से संबंधित विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की।

एनएसएस शिविर: स्वयंसेवकों द्वारा “पर्यावरण संरक्षण” तथा “स्वच्छता” विषयक पर कार्यक्रम आयोजित

कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र में मुख्य वक्ता प्रो मनोज दीक्षित पूर्व कुलपति, आरएमएल अवध विश्वविद्यालय, अयोध्या ने कहा कि शिक्षा को रोज़गार से जोड़ने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालयों को आउट कम बेस्ट एजुकेशन के मापदंड तय करने की आज़ादी होनी चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि देश में लगभग 20 लाख पासपोर्ट सरेंडर हुए हैं जिसमें 10 लाख विद्यार्थियों के हैं।

इससे यह स्पष्ट है कि देश के कई विद्यार्थी उच्च शिक्षा के लिए विदेश जाना चाहते हैं। उन्होंने ये भी कहा कि हमें ऐसे विद्यार्थियों की आवश्यकता है जो अपने देश की समस्याओं को समझें और शिक्षा के माध्यम से उसका समाधान करने का प्रयास करें। अंत में उन्होंने कहा कि विद्यार्थी जिस भी छेत्र में काम करना चाहते हैं उसके लिए उन्हें स्किल विकसित करनी चाहिए।

विशिष्ट अतिथि प्रो अरविंद दीक्षित, पूर्व कुलपति डीबीआरए विश्विद्यालय, आगरा ने अपने संवाद में कहा कि इस विश्वविद्यालय के शिक्षकों की एकता एवं अखंडता ऐसी पूंजी है जिसे विश्वविद्यालय सकारात्मक रूप में उपयोग में ला सकता है। एक्रीडेशन एवं असेसमेंट प्रक्रिया की जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिससे विश्विद्यालय हर क्षेत्र में अपनी गुणवत्ता के स्तर को बेहतर कर सकता है। अंत में उन्होंने स्टूडेंट्स से अनुरोध करते हुए कहा कि जिस छेत्र में शिक्षा वो ले रहे हैं उनको उसी छेत्र में रहकर समाज कल्याण का कार्य जरूर करना चाहिए।

मुख्य अतिथि प्रो बीए चोपाड़े, कुलपति एकेएस विश्वविद्यालय, मध्यप्रदेश ने कहा कि यदि विश्वविद्यालय नैक एक्रीडेशन प्राप्त कर लेता है तो उसे कई संस्थानों से फंडिंग मिल सकती है जिससे विश्वविद्यालय की आधारभूत सुविधाओं को मज़बूत किया जा सकता है।

लखनऊ विश्वविद्यालय में विश्व समाज कार्य दिवस का आयोजन

एसएसआर (SSR) रिपोर्ट के संदर्भ में बात करते हुए उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय को यह ध्यान देना चाहिए कि इसमें दिया जाने वाला डेटा, सत्यापित हो।उन्होंने स्टार्टअप एवं कोलैबोरेशन के विषय में भी महत्वपूर्ण जानकारी दी। उन्होंने यह भी बताया कि आंकड़ों के अनुसार ज़्यादातर विद्यार्थी कला एवं मानविकी विषयों में रुचि रखते हैं और इस आधार पर भाषा विश्वविद्यालय उनके लिए एक अच्छा विकल्प साबित हो सकता है। अपने भाषण में उन्होंने कॉन्सेप्ट ऑफ रिसर्च एजुकेशन इन हाइयर एजुकेशन के बारे में स्टूडेंट्स को समझाते हुए कहा कि स्टूडेंट्स को क्रिटिकल थिंकिंग विकसित करने की बहुत आवश्यकता है।

कार्यक्रम के टेक्निकल सत्र में सह अध्यक्ष डॉ नाजिया जमाल, लखनऊ विश्वविद्यालय ने कहा कि विद्यार्थी रोज़गार प्राप्त करने और समाज में अपना स्थान पाने के लिए पढ़ते हैं। उन्होंने अपना अनुभव साझा करते हुए कहा कि रोजगार ना मिलने की वजह से ही वह आगे की पढ़ाई जारी रखते हैं ना कि इसलिए की वो आगे की पढ़ाई करना चाहते हैं। अंत में उन्होंने कहा कि अनुसंधान किसी भी देश के विकास की चाभी है। इसी सत्र में योगेश पवार ने सीओ और पाओ की व्याख्या करते हुए स्टूडेंट्स को संबोधित किया।

काल ही नियंता व निर्णायक है, काल के रथ पर ज्ञानी ही बैठ सकते हैं- हृदय नारायण दीक्षित

कार्यक्रम के संयोजक प्रो सय्यद हैदर अली रहें। कार्यक्रम के आयोजन सचिव डॉ रूचिता सुजय, डॉ दोआ नक़वी एवं निधि सोनकर रहें। कार्यक्रम में डॉ तबस्सुम अली, डॉ काजिम रिजवी, डॉ आमिना, डॉ ज़िया जाफरी, आफरीन फातिमा, साक्षी राय, घ्यानश्याम दास एवं अन्य शिक्षक मौजूद रहें। कार्यशाला का संचालन डॉ दोआ नक़वी, असिस्टेंट प्रोफेसर बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन विभाग ने किया। कार्यक्रम के समन्यवक मुख्तार अहमद, शोधकर्ता इकोनॉमिक्स विभाग रहे एवं धन्यवाद ज्ञापन, प्रो चांदना डे ने दिया जिसमे उन्होंने गेस्ट, स्टूडेंट्स को धन्यवाद ज्ञापित किया।

About Samar Saleel

Check Also

लखनऊ में छावनी स्थित लेफ्टिनेंट पुनीत दत्त सभागार में धूमधाम से मनाया गया एनसीसी का स्थापना दिवस

• एनसीसी की स्थापना वर्ष 1948 में “एकता और अनुशासन” के आदर्श वाक्य के साथ ...