ओडिशा के बालासोर में भीषण ट्रेन हादसे में मरने वालों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। खबर लिखे जाने तक हादसे में मरने वालों की संख्या 237 पार कर गई है।
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जबकि घायलों की संख्या 900 से ज्यादा है। राहत बचाव कार्य में रात से आर्मी, एनडीआरएफ और स्थानीय पुलिस और प्रशासन की टीम जुटी है। सुबह से वायुसेना भी इस अभियान में जुट गई है। युद्ध स्तर पर रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया जा रहा है। इस बीच यह बात भी सामने आ रही है कि ओडिशा ट्रेन हादसे में रेस्क्यू ऑपरेशन आसान नहीं है।
राहत बचाव कार्य की अगुवाई कर रहे मेजर अविनाश दास ने कहा कि हर पल कीमती है। इस तरह के ऑपरेशन में अक्सर कई दिन लग जाते हैं। लेकिन, इसमें जितनी देरी होगी, हादसे में बचाना उतना कठिन हो जाएगा।
शुक्रवार शाम तकरीबन 7 बजे ओडिशा में तीन ट्रेनों के आपस में टकराने से भयाक हादसा हो गया है। पहले यशवंतपुर-हावड़ा एक्सप्रेस पटरी से उतरकर कोरोमंडल एक्स्प्रेस से टकराई, उसके बाद कोरोमंडल भी पटरी से उतरी और दूसरी पटरी से गुजर रही एक मालगाड़ी से टकरा गई।
इस भयावह हादसे का मंजर कितना भयानक है, इसकी कल्पना मुश्किल है। ओडिशा ट्रेन हादसे में मरने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है। खबर लिखे जाने तक 237 लोगों की मौत हो चुकी है। घायलों को मौके पर ही मौजूद डॉक्टरों द्वारा फर्स्ट एड के बाद इलाज के लिए हायर सेंटर रेफर किया जा रहा है।
रेस्क्यू ऑपरेशन की अगुवाई कर रहे मेजर अविनाश दास ने बताया कि राहत-बचाव कार्य बेहद मुश्किल है। हमारे लिए एक-एक मिनट बहुत कीमती है। उन्होंने कहा कि हम नहीं चाहते कि घायल को रेस्क्यू करने में बिल्कुल भी देरी हो, क्योंकि इससे उसके इलाज में देरी होगी और संभव है कि घायल के बचने की संभावना भी उतनी ही कम होगी। कहा कि अक्सर इस तरह के ऑपरेशन में कई दिन लग जाते हैं। यह बड़ा हादसा है। इसलिए हम प्लानिंग के हिसाब से राहत-बचाव कार्य कर रहे हैं, नहीं चाहते कि किसी भी घायल को रेस्क्यू करने में देरी हो।
ओडिशा ट्रेन हादसे में एऩडीआरएफ और स्थानीय पुलिस प्रशासन की टीमें पहले से जुटी हैं। आर्मी ने भी रेस्क्यू ऑपरेशन में रात से मोर्चा संभाल लिया। ताजा जानकारी के अनुसार, सुबह से इस अभियान में वायुसेना भी उतर गई है। वायुसेना के जहाजों की मदद से घायलों को इलाज के लिए एयर लिफ्ट किया जा रहा है।