वाशिंगटन: अमेरिका के 22 प्रांतों के अटॉर्नी जनरल ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के उस शासकीय आदेश के खिलाफ मुकदमा दायर किया है जिसके तहत देश में जन्म लेने पर किसी भी व्यक्ति को स्वत: नागरिकता मिल जाने के 100 साल पुराने आव्रजन नियम को खत्म करने के लिए कदम उठाया गया है। इस नियम के तहत यदि किसी व्यक्ति का जन्म अमेरिका में हुआ है तो जन्म के आधार पर उसे अमेरिकी नागरिकता मिल जाती थी, भले ही उनके माता-पिता किसी और देश के हों।
लंबी चलने वाली है कानूनी लड़ाई
सोमवार को जारी ट्रंप का लगभग 700 शब्दों का कार्यकारी आदेश, राष्ट्रपति चुनाव अभियान के दौरान उनके द्वारा किए गए वादे को पूरा करना है। लेकिन, यह निश्चित नहीं है कि ट्रंप का यह कदम सफल होगा या नहीं, क्योंकि राष्ट्रपति की आव्रजन नीतियों और नागरिकता के संवैधानिक अधिकार पर कानूनी लड़ाई लंबी चलने वाली है। डेमोक्रेटिक अटॉर्नी जनरल और प्रवासियों के अधिकारों के पैरोकारों का कहना है कि जन्मजात नागरिकता को लेकर स्थापित कानून है और यद्यपि राष्ट्रपतियों के पास व्यापक अधिकार होते हैं, लेकिन वो राजा नहीं होते।
लेबनान में हिजबुल्लाह के शीर्ष नेता की हत्या, अज्ञात बंदूकधारियों ने गोली मारकर किया हमला
व्हाइट हाउस का स्पष्ट रुख
न्यूजर्सी के अटॉर्नी जनरल मैट प्लैटकिन ने कहा कि राष्ट्रपति अपने आदेश के जरिए इस व्यवस्था को समाप्त नहीं कर सकते। व्हाइट हाउस (राष्ट्रपति निवास एवं कार्यालय) ने कहा कि वह अदालत में प्रांतों का सामना करने के लिए तैयार है और ये मुकदमे ‘वामपंथियों के प्रतिरोध से ज्यादा कुछ नहीं’ हैं। व्हाइट हाउस के उप प्रेस सचिव हैरिसन फील्ड्स ने कहा, ‘‘कट्टरपंथी वामपंथी धारा के विपरीत जा सकते हैं और लोगों की प्रबल इच्छा को अस्वीकार करने का विकल्प चुन सकते हैं, या फिर वो राष्ट्रपति ट्रंप के साथ मिलकर काम कर सकते हैं।’’
‘अमेरिका में पैदा हुए तो अमेरिकी हैं’
कनेक्टिकट के अटॉर्नी जनरल विलियम टोंग ने कहा कि यह मुकदमा उनके लिए व्यक्तिगत है। वह जन्मजात अधिकार से अमेरिकी नागरिक और देश के पहले चीनी-अमेरिकी निर्वाचित अटॉर्नी जनरल हैं। उन्होंने कहा, ‘‘14वां संशोधन वही कहता है जो इसका मतलब है, और इसका मतलब वही है जो यह कहता है- यदि आप अमेरिकी धरती पर पैदा हुए हैं, तो आप अमेरिकी हैं। बस।’’