भारत रत्न स्व. अटल बिहारी वाजपेयी की दूसरी पुण्य तिथि पर उन्हें यद् करते हुए भाजपा नेता गोविंद भदौरिया ने बताया कि भारत के 11वें प्रधानमंत्री श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेई को विरासत में कविता और साहित्य मिले यही कारण था कि राजनीति में दिग्गज, विदेश नीति में कूटनीतिक लोकप्रिय जननायक और कुशल प्रशासक होने के साथ साथ वो एक अत्यंत सक्षम और संवेदनशील कवि, लेखक और पत्रकार थे।
मध्य प्रदेश के ग्वालियर में एक ब्राह्मण परिवार में 25 दिसंबर 1924 को जन्में स्व. अटल जी भारतीय राजनीतिक पटल पर लंबे समय तक राज करने वाले जनता थे। जिन्होंने भारत माता के उत्थान एवं कल्याण हेतु हर पल जिया। उनकी वाणी से असाधारण शब्दों को सुनकर आम जन सदैव उल्लासित होते रहे। उनके कार्यों ने सदैव देश का मस्तक हमेशा ऊँचा रखा।
सूर्य एक सत्य है
जिसे झुठलाया नहीं जा सकता
मगर ओस भी तो एक सच्चाई है
यह बात अलग है कि ओस क्षणिक है
क्यों न मैं क्षण क्षण को जिऊँ?
कण-कण में बिखरे सौंदर्य को पिऊँ?
श्री भदौरिया ने उनकी लिखी कविता की चंद लाइन पढ़ते हुए कहा कि जिस तरह से सूर्य सत्य है उसी तरह से मृत्यु भी अटल सत्य है। जिसने जन्म लिया है उसे एक न एक दिन दुनिया से विदा लेना ही पड़ता है। लेकिन अटल जी जैसी दृढ़ संकल्पित आत्माएं सैकड़ों वर्षों में एक बार जन्म लेती हैं, जिन्हें सभी प्यार करते हैं। अटल जी ने अपनी ओजस्वी कविताओं के द्वारा सदैव भारत माता का गुणगान किया है।
रिपोर्ट-अनुपमा सेंगर