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CJI ने एम नागेश्वर राव की नियुक्ति के खिलाफ दायर याचिका से खुद को अलग किया

नई दिल्ली। सीबीआई के अंतरिम निदेशक एम नागेश्वर राव की नियुक्ति के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई से मुख्य न्यायाधीश ने खुद को अलग किया। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि वह सीबीआई निदेशक पद के लिए 24 जनवरी को चयन समिति की बैठक में शामिल होंगे। इसलिए मामले की सुनवाई नहीं कर सकते। मालूम हो कि कोर्ट नंबर दो इस मामले की सुनवाई 24 जनवरी को करेगी। प्रशांत भूषण की एनजीओ की तरफ से यह याचिका दायर की गई थी। याचिका में कहा गया है कि बिना चयन समिति की मंजूरी के नागेश्वर राव की नियुक्ति की गई है।

ओडिशा कैडर के 1986 बैच के आईपीएस अधिकारी नागेश्वर राव

अंतरिम सीबीआई निदेशक की जिम्मेदारी संभाल रहे एम नागेश्वर राव को 18 दिसंबर को सरकार ने अतिरिक्त निदेशक के रूप में पदोन्नत कर दिया। ओडिशा कैडर के 1986 बैच के आईपीएस अधिकारी नागेश्वर राव के नाम को कैबिनेट की नियुक्ति समिति ने मंजूरी प्रदान किया है। सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा और विशेष निदेशक राकेश अस्थाना के बीच टकराव सामने आने के बाद 24 अक्टूबर को राव को अंतरिम सीबीआई निदेशक की जिम्मेदारी सौंपी गयी थी। राव के नाम पर नवंबर 2016 में अतिरिक्त निदेशक के लिए विचार नहीं किया गया और अप्रैल 2018 में इस बैच की समीक्षा के दौरान भी उनके नाम पर विचार नहीं हुआ। उन्होंने 2016 में संयुक्त निदेशक के रूप में सीबीआई में कामकाज शुरू किया था।

कांग्रेस नेता मल्लिकार्जु्न खड़गे ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर

उच्चतम न्यायालय ने नागेश्वर राव से तब तक कोई नीतिगत फैसला नहीं लेने को कहा,जब तक वह वर्मा और अस्थाना के बीच झगड़े से संबंधित याचिका पर सुनवाई नहीं करता। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जु्न खड़गे ने भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर कहा था कि एम नागेश्वर राव की सीबीआई के अंतरिम निदेशक के पद पर नियुक्ति संवैधानिक नहीं है,अथवा जांच एजेंसी के नए प्रमुख की नियुक्ति के निए चयन समिति की तत्काल बैठक बुलाई जाए।

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