लखनऊ। ख़्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती भाषा विश्वविधालय (KMCLU) के कला एवं मानविकी संकाय की ओर से उर्दू विभाग के पुस्तकालय में शिक्षक डॉ मोहम्मद वसी आज़म अंसारी (Dr Mohammad Wasi Azam Ansari) के पिता के निधन पर एक शोक सभा (Condolence Meeting) का आयोजन किया गया। शोक सभा में विश्वविद्यालय के शिक्षकों और छात्रों ने दीवजगत आत्मा की शान्ति के लिए प्रार्थना की और डॉ मोहम्मद वसी आज़म अंसारी के पिता को एक स्नेही पिता और समाज सेवी बताया।
इस अवसर पर उर्दू विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर फ़खरे आलम ने शोक व्यक्त करते हुए कहा कि डॉ वसी आज़म अंसारी उर्दू विभाग के एक कुशल एवं प्रतिभाशाली शिक्षक के रूप में जाने जाते हैं और छात्र भी उन्हें उनकी इन्हीं विशेषताओं के लिए पसंद करते हैं। डॉ वसी आज़म अंसारी के व्यक्तित्व की इन सभी विशेषताओ में पिता की संस्कारशीलता की अहम भूमिका रही होगी। एक स्नेही पिता का साया उठ जाना वास्तव में एक गहरी क्षति है।
अरबी विभाग के अध्यक्ष और लीगल स्टडीज के डीन, प्रोफेसर मसूद आलम ने अपनी संवेदना प्रकट करते हुए कहा कि पिता एक छायादार वृक्ष की तरह होते हैं और उनका इस दुनिया से चले जाना किसी के लिए भी एक साधारण दुःख नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि डॉ वसी आज़म अंसारी के भीतर श्रेष्ठ मानवीय गुणों और सद्गुणों को देखकर उनके पिता की नेकदिली और श्रेष्ठ आचरण का अनुमान लगाया जा सकता है। ऐसे व्यक्ति का अचानक इस दुनिया से चले जाना न केवल डॉ. वसी आज़म अंसारी के लिए व्यक्तिगत क्षति है, बल्कि यह समाज के लिए भी एक अपूरणीय क्षति है।
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शोक सभा को संबोधित करते हुए प्रो सोबान सईद ने कहा कि वसी आज़म अंसारी के दिवंगत पिता न केवल एक नेकदिल इंसान थे, बल्कि मऊ की एक सक्रिय सामाजिक हस्ती भी थे। वे वहां के सामाजिक कार्यों में बढ़-चढ़कर भाग लेते थे। ऐसे व्यक्तित्व का चले जाना संपूर्ण समाज के लिए एक बड़ी क्षति है। इसी तरह अंग्रेज़ी विभाग की अध्यक्ष प्रो तनवीर खदीजा ने भी अपने दुःख का इज़हार करते हुए कहा कि डॉ वसी आज़म अंसारी के व्यक्तित्व में जो विनम्रता और नैतिकता है, वह उनके पिता के उत्तम संस्कारों का परिणाम है। उनके जाने से समाज ने एक व्यक्तित्व को खो दिया है।
इस अवसर पर प्रोफेसर एहतिशाम अहमद, डॉ नीरज शुक्ला, डॉ ज़ैबुन्निसा, डॉ अब्दुल हफीज़, डॉ अकमल शादाब, डॉ हारून रशीद, डॉ ज़फरुन नक़ी, डॉ मुनव्वर हुसैन, डॉ मूसी रज़ा समेत अन्य शिक्षकगण, शोधार्थी और छात्र उपस्थित रहे।
शोक सभा के अंत में सभी शिक्षकों, शोधार्थियों और छात्रों ने दुआ-ए-ख़ैर की।