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यूपी में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की मतगणना जारी, कुछ जिंदगी से हारे तो कुछ ने बाजी मारी

राज्य में गत 15 तथा 19 अप्रैल को हुए पहले एवं दूसरे चरण के चुनाव में 71-71 फीसद मतदान हुआ था। वहीं, 26 अप्रैल को हुए तीसरे चरण के चुनाव में 73.5% वोट पड़े थे। इटावा जिले में जिला पंचायत सदस्य की 24 सीटों पर मतगणना जारी है। 19 सीटों के रुझान में समाजवादी पार्टी के 15 समर्थित प्रत्याशियों को बढ़त मिली है। वहीं तीन सीटों पर बीजेपी और एक सीट पर बीएसपी ने बढ़त बनाई। नतीजे साफ तौर पर दिखा रहे हैं कि मुलायम परिवार की अपने गढ़ में कितनी मजबूत जड़े हैं। योगी आदित्यनाथ जोर लगाने के बाद भी वहां बीजेपी को मजबूत नहीं कर सके।

उत्तर प्रदेश के ग्राम पंचायत चुनाव के नतीजों को जानने की उत्सुकता इतनी ज्य़ादा थी कि लोग अपनी जान को दांव पर लगाने से भी गुरेज नहीं कर रहे हैं। सूबे के किसी भी हिस्से की बात हो, लोगों का मजमा हर जगह दिखा। बावजूद इसके कि लोगों को पता है कि नया कोरोना का संस्करण घातक है। अगर इसकी चपेट में आ गए तो जान पर बन सकती है। न तो अस्पतालों में बेड मिल पा रहे हैं और न ही दूसरी सहूलियतें। लेकिन फिर भी लोग जान हथेली पर रखकर यहां वहां हुजूम में घूमते दिखे।

उत्तर प्रदेश ग्राम पंचायत चुनाव में इस बार किसकी जीत होगी और किसकी हार? आज यह साफ हो जाएगा। वोटों की गिनती सुबह 8 बजे शुरू हुई। कई जिलों में नतीजो का ऐलान भी होने लगा है। इनमें कानपुर देहात, बलरामपुर और इटावा शामिल हैं। कई सीटों पर तो मुकाबला काफी कड़ा रहा है। चंदौली में एक उम्मीदवार महज दो वोटों से प्रतिद्वंदी को हराने में कामयाब हुए हैं।

दूसरी ओर सुप्रीम कोर्ट की ओर से कोरोना गाइडलाइंस का पालन कराने के निर्देश राज्य में हवा नजर आए। कई मतगणना केंद्रों पर तो भीड़ बिना मास्क पहने और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन किए ही इकट्ठा हो गई, जिस पर पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा है। प्रयागराज के करछना और एटा समेत कुछ अन्य जिलों में पुलिस के लाठी भांजने की खबरें आई हैं। जबकि प्रशासन के अधिकारी नदारद दिखे। इस बीच हाथरस और जेवर में तो मतगणना केंद्रों पर कर्मचारी ही कोरोना पॉजिटिव निकल आए। इससे इन जगहों पर हड़कंप मच गया।

धरे रह गए सभी आदेश, जमकर उड़ाई कोरोना प्रोटोकॉल की धज्जियां

बता दें कि यूपी में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के चौथे और अंतिम चरण में छिटपुट घटनाओं के बीच 17 जिलों में गुरुवार शाम पांच बजे तक औसतन 61 फीसद से अधिक वोट पड़े थे। सूबे के 75 जिलों में चार चरणों में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के मत डाले गए थे।

पहले चरण में 15 अप्रैल, दूसरे में 19 अप्रैल, तीसरे में 26 अप्रैल और चौथे चरण में 29 अप्रैल को मतदान संपन्न हुआ। राज्‍य में चारों चरणों में ग्राम पंचायत प्रधान के 58,194, ग्राम पंचायत सदस्य के 7,31,813, क्षेत्र पंचायत सदस्य के 75,808 तथा जिला पंचायत सदस्य के 3,051 पदों के लिए मत डाले गये हैं। इनमें से कुछ पदों पर निर्विरोध निर्वाचन भी हो चुका है।

बीजेपी सांसद के ससुर बने प्रधान

सांसद रेखा अरुण वर्मा के ससुर लालता प्रसाद वर्मा ने जंगबहादुरगंज-खीरी के मकसूदपुर की प्रधानी जीत ली है। इस सीट पर क्षेत्र की जनता की नजरें टिकी हुई थीं कि प्रधानी सांसद के घर में आएगी या नही। लालता प्रसाद ने अपने प्रतिद्वंदी को 1177 मतों से हराया।

वाराणसी में राजभर के भाई की पत्नी हारीं प्रधानी का चुनाव

पूर्व कैबिनेट मंत्री व सुभासपा अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर को पंचायत चुनाव में झटका लगा है। वाराणसी में उनके भाई की पत्नी रीता राजभर ग्राम प्रधान का चुनाव हार गई हैं। पिंडरा क्षेत्र के फतेहपुर गांव में ग्राम प्रधान सीट पर ओमप्रकाश राजभर के सगे भाई लखन्दर राजभर की पत्नी रीता राजभर मैदान में थीं।

मृत प्रत्याशियों को किया गया विजयी घोषित, परिजनों को मिले सर्टिफिकेट

वाराणसी के चिरईगांव ब्लाक के ग्राम पंचायत शिवदशा से धर्मदेव यादव और सिरिस्ती से ग्राम प्रधान पद की प्रत्याशी निर्मला मौर्य को मृत्यु के बाद विजयी घोषित किया गया। मतदान के बाद दोनों की मृत्यु हो गई थी। आरओ ने दोनों को विजयी घोषित कर उनके परिजनों को जीत का प्रमाण पत्र सौंपा। यहां फिर से मतदान कराया जाएगा।

पीलीभीत में सास को हरा बहू बनी प्रधान

यहां एक रोचक चुनाव देखने को मिला। सास गांव की प्रधान थी। बहू ने उसे चुनौती दी और पटखनी दे डाली। बरखेड़ा ब्लाक के गांव सोंधा से पूनम ने जीत हासिल कर गांव की प्रधान बनीं। उसने अपनी प्रधान सास कमला देवी को 250 वोटों से हराया।

जीत के इंतजार में अटकी थीं सांसें

वाराणसी में पिंडरा ब्लॉक के नंदापुर के ग्राम प्रधान की सुनरा देवी ने अपने निकटम प्रतिद्वंद्वी को 3 मतों से हराकर जीत हासिल की।लेकिन जीत की खुशी उनके लिए मौत लेकर आई। जीत की सूचना मिलते ही आईसीयू में भर्ती सुनरा देवी की मौत हो गई। सुनरा देवी को 294 मत और प्रेमशीला को 291 मत मिले।

जौनपुर में दो वोट से जीतकर बनीं चौथी बार प्रधान

जौनपुर में शाहगंज ब्लाक के खरगीपुर गोधना गांव की प्रधान पद की प्रत्याशी अनीता देवी पत्नी भीमचंद ने कड़े मुकाबले में मात्र दो वोटों से चुनाव जीत लिया। अनीता देवी को 262 जबकि उनकी निकटतम प्रतिद्वंद्वी उर्मिला को 260 मत मिले। तीन बार लगातार गांव की प्रधान रही अनीता देवी चौथी बार फिर प्रधान बनी हैं।

जीतने से पहले ही दुनिया को कह गईं अलविदा

अमरोह में गंगेश्वरी विकास खंड के गांव खनौरा में प्रधान पद की प्रत्याशी सविता पत्नी राजकुमार 165 वोटों से चुनाव जीत गईं, लेकिन सविता की शुक्रवार रात कोराना से मौत हो गई थी। मौत के बाद महिला प्रत्याशी की जीत की घोषणा हुई।

चतुरी चाचा के प्रपंच चबूतरे…केंद्र व राज्य सरकारों ने कोरोना को हल्के में लेने की भूल कर दी

कानपुरः नरवल में किन्नर प्रत्याशी को मिली जीत

कानपुर नगर में पंचायत चुनाव के नरवल ब्लॉक से पहला चुनाव परिणाम आ चुका है। यहां पर सेन पश्चिम पारा ग्राम पंचायत से किन्नर काजल किरण ने प्रधान पद पर जीत दर्ज की है। काजल इससे पहले नौबस्ता के पशुपति नगर वार्ड से पार्षद रह चुकी है।

वाराणसी में सबसे कम उम्र की प्रधान बनीं मेनका

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में पिंडरा ब्लॉक में मेनका पाठक सबसे कम उम्र की ग्राम प्रधान बनी हैं। स्नातक मेनका पाठक की उम्र 21 वर्ष है। ओदार ग्राम सभा की ग्राम प्रधान मेनिका पाठक ने अपने निकटम प्रतिद्वंद्वी अनिता को 124 मतों से हराया। मेनका को 637 और अनिता को 513 मत मिले। आरओ देवब्रत यादव व बीडीओ वीके जायसवाल ने प्रमाणपत्र दिया।

टॉस से हुआ हार-जीत का फैसला

प्रयागराज में सोरांव के करौदी गांव सभा यूपी का पहला ऐसा रिजल्ट दे गया जहां टॉस का सहारा लेना पड़ा। यहां राजबहादुर और भुंवरलाल दोनों को 170 मत मिले। इसके बाद आरओ सुरेश चंद्र यादव ने टॉस कराया। भुंवरलाल टॉस जीतकर करौंदी के प्रधान बन गए।

शामली के कांधला मतगणना केंद्र में तीन कोरोना संक्रमित

पंचायत चुनाव के लिए चल रही मतगणना के दौरान भी कर्मचारियों का संक्रमित मिलना जारी है। शामली में कांधला में 70 एजेंटों और कर्मचारियों की जांच में 3 कोरोना पॉजिटिव पाए गए। इसके बाद उन्हें अलग किया गया। दूसरी ओर कोरोना केस बढ़ने के बावजूद तमाम कायदे कानूनों को ताक पर रखते हुए लोगों की भारी भीड़ मतगणना केंद्र पर जुटी हुई है।

गैंगस्टर विकास दुबे के परिवार से 25 साल बाद छिनी प्रधानी

कानपुर के बिकरू में 25 साल के प्रधान पद से गैंगस्टर विकास दुबे के परिवार का कब्जा हटा है। पिछली बार उनकी पत्नी यहां से प्रधान थीं। हालांकि, इस बार प्रधान का चुनाव मधु ने जीता। बता दें कि विकास दुबे को पिछले साल यूपी पुलिस ने एनकाउंटर में मार गिराया था। उस पर बिकरू में ही पुलिसवालों की जान लेने का आरोप था।

           दया शंकर चौधरी

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