नई दिल्ली: उन्नाव दुष्कर्म मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट से बड़ा अपडेट आ रहा है। शीर्ष अदालत ने मामले से जुड़े लोगों और गवाहों को दी गई सीआरपीएफ सुरक्षा वापस लेने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने इस बात पर गौर किया है कि इस मामले में दोषी को उम्रकैद की सजा सुनाई गई है। हालांकि, कोर्ट ने साफ किया कि पीड़िता को दी गई सीआरपीएफ सुरक्षा जारी रहेगी।
पीड़िता की सीआरपीएफ सुरक्षा वापस लेने से इनकार
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को उन्नाव दुष्कर्म पीड़िता की सीआरपीएफ सुरक्षा वापस लेने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने कहा कि अभी भी खतरे की आशंका है। हालांकि, जस्टिस बेला एम त्रिवेदी और जस्टिस पीबी वराले की पीठ ने पीड़िता के परिवार के सदस्यों और अन्य गवाहों को दी गई सीआरपीएफ सुरक्षा वापस ले ली। कोर्ट ने कहा कि मामले में दोषसिद्धि पहले ही हो चुकी है।
आजीवन कारावास की सजा सुनाई जा चुकी
पीठ ने कहा, ‘हमारा मानना है कि इस कोर्ट से संबंधित व्यक्तियों को उस वक्त दी गई सुरक्षा जारी नहीं रखी जा सकती, क्योंकि मामले में दोषी करार दिए जाने के बाद आजीवन कारावास की सजा सुनाई जा चुकी है। हालांकि, हम यह साफ करते हैं कि अगले आदेश तक पीड़िता के लिए सीआरपीएफ सुरक्षा जारी रहेगी।’
स्थानीय पुलिस से संपर्क कर सकते हैं
शीर्ष न्यायालय ने कहा कि यदि परिवार के सदस्यों और अन्य गवाहों को अभी भी कोई खतरा महसूस होता है तो वे स्थानीय पुलिस से संपर्क कर सकते हैं। सुनवाई के दौरान अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने बताया कि मामले में दोषसिद्धि हो चुकी है और उन्होंने सीआरपीएफ सुरक्षा कवर वापस लेने की अनुमति मांगी। केंद्र ने 2019 में न्यायालय के आदेश के बाद उन्हें प्रदान की गई सीआरपीएफ सुरक्षा वापस लेने की मांग करते हुए एक याचिका दायर की थी।
सेंगर की अपील दिल्ली हाईकोर्ट में लंबित
उत्तर प्रदेश के उन्नाव में 2017 में नाबालिग लड़की से दुष्कर्म के आरोप में निष्कासित भाजपा नेता कुलदीप सिंह सेंगर जेल में आजीवन कारावास की सजा काट रहे हैं। शीर्ष न्यायालय ने 1 अगस्त, 2019 को पीड़िता, उसकी मां, परिवार के अन्य सदस्यों और उनके वकील को सीआरपीएफ सुरक्षा प्रदान करने का निर्देश दिया था। मामले में ट्रायल कोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली सेंगर की अपील दिल्ली हाईकोर्ट में लंबित है।