रुद्रप्रयाग. गत दो माह में केदारनाथ यात्रा मार्ग पर भूस्खलन व अतिवृष्टि से यात्रियों व स्थानीय समेत 20 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 20 लापता हैं। सोनप्रयाग से केदारनाथ तक हाईवे और पैदल मार्ग भूस्खलन की दृष्टि से अति संवेदनशील है और यहां पग-पग पर जानमाल की क्षति का खतरा बना है।
गौरीकुंड-केदारनाथ पैदल मार्ग पर बीते 21 जुलाई को तड़के चार बजे चीरबासा में भारी भूस्खलन की चपेट में आने से तीन यात्रियों की मौत हो गई थी। इस दौरान पहाड़ी से बड़े-बड़े बोल्डर और टनों मलबा गिरा था, जिससे पांच यात्री घायल भी हो गए थे। इसके बाद बीते 31 जुलाई की देर शाम को भीमबली से लिनचोली के बीच अतिवृष्टि से हजारों यात्री फंस गए थे। एसडीआरएफ, एनडीआरएफ, डीडीआरएफ, पुलिस, होमगार्ड सहित स्थानीय लोगों के द्वारा 13 हजार से अधिक लोगों का रेस्क्यू किया गया।
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इस दौरान मलबे से सात शव भी बरामद किए गए थे, जिनमें से छह की शिनाख्त हो चुकी है। अतिवृष्टि के बाद 23 लोगों के लापता होने की गुमशुदगी की रिपोर्ट भी उनके परिजनों ने पुलिस में दर्ज कराई थी, जिसमें 20 का अभी तक कोई सुराग नहीं मिल पाया है। वहीं 9 सितंबर को रुद्रप्रयाग-गौरीकुंड हाईवे पर सोनप्रयाग के एक किमी आगे भूस्खलन से 5 यात्रियों की मौत हो गई।
दो अगस्त 2023 की रात्रि को रुद्रप्रयाग-गौरीकुंड हाईवे पर गौरीकुंड डाट पुल के समीप पहाड़ी से भारी भूस्खलन से तीन कच्ची दुकानें मलबे में बहकर मंदाकिनी नदी में समा गईं थीं। इन दुकानों में रुके 23 लोग भी हादसे का शिकार हो गए थे, जिसमें 10 के शव तो मिल गए थे, पर 13 का आज तक पता नहीं लग पाया है।