दादरा और नागर हवेली के सांसद मोहन डेलकर की सुसाइड का सस्पेंस गहराता जा रहा है. महाराष्ट्र के कांग्रेस नेता सचिन सावंत ने दावा किया है कि मोहन डेलकर के सुसाइड नोट में भारतीय जनता पार्टी (BJP) के पूर्व विधायक प्रफुल पटेल का नाम है. सचिन सावंत के मुताबिक डेलकर ने स्थानीय BJP नेता द्वारा तंग किए जाने की शिकायत भी की थी. अब उनका नाम मोहन डेलकर के सुसाइड नोट में भी पाया गया है. ऐसा दावा कांग्रेस नेता सचिन सावंत ने किया. इस संबंध में वे महाराष्ट्र के गृहमंत्री अनिल देशमुख से मिले और इस केस की गहराई से जांच किए जाने की मांग की.
सचिन सावंत के मुताबिक मोहन डेलकर ने अपनी शिकायत में कहा था कि स्थानीय BJP नेता उन्हें तंग कर रहे हैं और झूठे केस में फंसाने की धमकी दिया करते हैं. BJP नेता प्रफुल पटेल वर्तमान में दादरा और नागर हवेली में प्रशासक के तौर पर काम कर रहे हैं. वे गुजरात के हिम्मत नगर से 2007 से 2012 तक विधायक रह चुके हैं. 26 जनवरी 2020 को दादरा और नागर हवेली का जब दमन और दीव के साथ एकीकरण कर दिया गया तो प्रफुल पटेल को इसका उद्घाटक प्रशासक बनाया गया.
22 फरवरी को दक्षिण मुंबई के मरीन लाइंस के होटल सी ग्रीन के अपने कमरे में दादरा और नागर हवेली के सांसद मोहन डेलकर मृत पाए गए थे. शुरुआती जांच के बाद पुलिस ने बताया कि उन्होंने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली है. पुलिस ने होटल के कमरे से गुजराती भाषा में लिखा हुआ एक सुसाइड नोट बरामद किया. पुलिस सूत्रों के अनुसार इसमें 40 लोगों के नाम दर्ज हैं. फॉरेंसिक टीम इसकी जांच कर रही है.
शव को तुरंत पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया था. इसके बाद उनका शव उनके परिवारवालों को सौंपा गया. मामला सांसद का है इसलिए केंद्रीय जांच दल भी जांच में जुटा है. लेकिन अंतिम संस्कार में व्यस्तता की वजह से अब तक मोहन डेलकर के परिवारवालों, बॉडीगार्ड और ड्राइवर से पूछताछ नहीं हो सकी है.
कौन थे मोहन डेलकर ?
1965 में सिलवासा में जन्मे मोहन भाई डेलकर ने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में 1989 में नौवीं लोकसभा चुनाव जीत कर राष्ट्रीय राजनीति में अपना कदम रखा था. इसके बाद वे सात बार सांसद के तौर पर चुने जाने में कामयाब हुए. कांग्रेस, BJP और निर्दलीय सांसद रहने के बाद अक्टूबर 2020 में डेलकर JDU में शामिल हो गए थे. मोहन डेलकर गृह मंत्रालय की परामर्श कमिटी के भी सदस्य रहे थे. वे 17 वीं लोकसभा के 15 सीनियर सांसदों की सूची में रामविलास पासवान के बाद उनका नाम दूसरे नंबर पर था.