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भारत आ रहा फ्रांस का विमानवाहक पोत ‘चार्ल्स डी गॉल’, गोवा-कोच्चि के बंदरगाहों पर होगा ठहराव

नई दिल्ली:  फ्रांस का परमाणु ऊर्जा से चलने वाला विमान वाहक पोत चार्ल्स डी गॉल और इसका पूरा कैरियर स्ट्राइक (सीएसजी) भारत आ रहा है। यह समूह मिशन क्लेमेंस्यू 25 के तहत शनिवार को गोवा और कोच्चि के बंदरगाह पर पहुंचेगा। इसे भारत-फ्रांस के बीच मजबूत होती रक्षा साझेदारी और रणनीतिक संबंधों का शक्तिशाली प्रदर्शन माना जा रहा है। मौजूदा समय में चार्ल्स डी गॉल के साथ सीएसजी हिंद महासागर में है। जहां यह भारत समेत क्षेत्रीय सहयोगियों के साथ संयुक्त प्रशिक्षण कर रहा है। इसके बाद यह ला पेरोस अभ्यास के लिए इंडोनेशियाई क्षेत्र और फिर प्रशांत महासागर में पैसिफिक स्टेलर अभ्यास के लिए जाएगा।

भारत में फ्रांस के दूतावास ने कहा कि मिशन क्लेमेंस्यू 25 के तहत चार्ल्स डी गॉल सीएसजी और भारतीय नौसेना के जहाज 42वें वार्षिक वरुण द्विपक्षीय अभ्यास में भाग लेंगे। यह चार जनवरी को गोवा और कोच्चि में रुकेगा। इस नौसैनिक वायु प्रशिक्षण का उद्देश्य दोनों नौसेनाओं के बीच अंतर-संचालन क्षमता विकसित करना और वायु, सतह और पनडुब्बी के क्षेत्रों में बहु-परिवेशीय खतरे से निपटने के लिए चालक दल तैयार करना है।

यह है चार्ल्स डी गॉल विमान वाहक पोत
फ्रांस का परमाणु ऊर्जा से संचालित विमान वाहक पोत चार्ल्स डी गॉल और इसका पूरा कैरियर स्ट्राइक (सीएसजी) ग्रुप (सीएसजी) एक विशाल नौसैनिक बेड़ा है। इस विमानवाहक पोत में बड़ी संख्या में विध्वंसक, फ्रिगेट और अन्य जहाज होते हैं।

फ्रांस का प्रमुख साझेदार रहा है भारत
फ्रांसीसी दूतावास ने कहा कि भारत 1998 से फ्रांस का सबसे प्रमुख रणनीतिक साझेदार रहा है और उत्कृष्ट भारत-फ्रांस सैन्य सहयोग की विशेषता कई द्विपक्षीय अभ्यास जैसे कि जमीन पर शक्ति, समुद्र में वरुण और हवा में गरुड़ हैं। भारत ने फ्रांसीसी नौसेना के जहाजों द्वारा किए गए कई परिचालन स्टॉपओवर की मेजबानी भी की है। यह 2022 से 16 बंदरगाह कॉल हैं। हिंद महासागर से जुड़े राष्ट्रों के रूप में फ्रांस और भारत नियमित रूप से समुद्री सुरक्षा में योगदान देने के लिए सहयोग करते हैं।

हिंद महासागर नौसेना संगोष्ठी का सदस्य है फ्रांस
दूतावस ने यह भी कि 2008 से फ्रांस हिंद महासागर नौसेना संगोष्ठी (IONS) का सदस्य रहा है। इसकी शुरुआत भारत ने की थी और यह हिंद महासागर के देशों की 25 नौसेनाओं को एक साथ लाता है। इस मंच का उद्देश्य समुद्री मुद्दों की एक श्रृंखला से निपटने में सामूहिक प्रभावशीलता को बढ़ाना है। इसका उद्देश्य अवैध तस्करी, अवैध मछली पकड़ना, समुद्र में खोज और बचाव शामिल है।

फ्रांस ने 2021 से 2023 तक फोरम की अध्यक्षता संभाली। वहीं हिंद महासागर में फ्रांस कई मिशनों में सक्रिय रूप से शामिल है। इसमें समुद्री डकैती और मादक पदार्थों की तस्करी से निपटने के लिए यूरोपीय अटलांटा ऑपरेशन, अवैध तस्करी से निपटने के लिए अंतरराष्ट्रीय नौसैनिक गठबंधन संयुक्त टास्क फोर्स 150, और स्वेज से होर्मुज तक समुद्री सुरक्षा और नेविगेशन की स्वतंत्रता सुनिश्चित करने के लिए यूरोपीय संघ (ईयू) का एस्पाइड्स ऑपरेशन। ऑपरेशन अटलांटा यूरोपीय संघ की साझा सुरक्षा और रक्षा नीति (सीएसडीपी) के तहत एक महत्वपूर्ण समुद्री सुरक्षा अभियान है।

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