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चिपको आंदोलन पर Google का डूडल

आज चिपको आंदोलन की 45 वीं वर्षगांठ है। इस दिन विशेष पर Google ने चिपको आंदोलन पर ही डूडल बनाया है। चिपको आंदोलन का उद्देश्य पेड़ों और जंगलों की रक्षा करना था।

क्यों खास है आज Google का डूडल

बता दें गूगल ने डूडल में चिपको आंदोलन को दर्शाया है। इस आंदोलन के मुख्‍य नेता के रूप में सुन्दरलाल बहुगुणा को जाना जाता है लेक‍िन इसमें एक मह‍िला की व‍िशेष भूमि‍का रही है। बेशक गौरा देवी आज इस द‍ुन‍िया में नहीं हैं लेक‍िन उन्‍हें च‍िपको आंदोलन की जननी कहा जाता है।

क्या है चिपको आंदोलन से जुड़े तथ्य
यह आंदोलन गांधी की अहिंसा दर्शन से प्रेरित
  • चिपको आंदोलन की 45वीं सालगिरह गूगल के डूडल में चिपको आंदोलन को दिखाया गया है।
  • डूडल में महिलाएं पेड़ों की रक्षा करते हुए उनसे च‍िपकी खड़ी द‍िखाई दे रही हैं।
  • 1970 में शुरू हुए इस आंदोलन का नाम चिपको इसलिए पड़ा क्योंकि इसमें महिलाएं और पुरुष पेड़ों की रक्षा करने के ल‍िए उससे लिपट कर खड़े हो जाते थे।
  • शांत‍िपूर्वक होने वाला यह आंदोलन गांधी की अहिंसा दर्शन से प्रेरित माना जाता है।
गौरा देवी की व‍िशेष भूम‍िका
  • इस आंदोलन को आगे बढ़ाने में उत्‍तराखंड की रहने वाली गौरा देवी की व‍िशेष भूम‍िका रही है।
  • उन्‍होंने च‍िपको आंदोलन को सफल बनाने के ल‍िए सबसे पहले अपने रैंणी गांव की महि‍लाओं को जागरूक क‍िया।
  • इतना ही नहीं उन्‍होंने गांव-गांव और घर-घर जाकर मह‍िलाओं को पेड़ों और जंगलों के फायदे और नुकसान ग‍िनाए।
  • इसके बाद पेड़ों की रक्षा के ल‍िए चलाए जा रहे अभ‍ियान में बड़ी संख्‍या में मह‍िलाएं शाम‍िल हुईं।
  • इसलि‍ए गौरा देवी को च‍िपको आंदोलन की जननी, ह‍िरोइन, च‍िपको वूमेन जैसे नामों से आज भी पुकारा जाता है।
मह‍िलाओं के आक्रोश ने लौटाया खाली हाथ
  • जब 1974 में वन विभाग ने रैंणी गांव के जंगल नीलाम हुए और ठेकेदार कटाई के ल‍िए पहुंचे थे तो उस समय मह‍िलाओं ने मोर्चा संभाला था।
  • सैकड़ों मह‍िलाएं पेड़ों से च‍िपक कर खड़ी हो गई थीं।
  • ठेकेदारों ने महि‍लाओं को समझाने व हटाने का काफी प्रयास क‍िया लेक‍िन असफल हुए।
  • इसके बाद उन्‍हें मजबूरी में वापस लौटना पड़ा।
  • बता दें की इसके बाद सरकार ने इस क्षेत्र में कुछ वर्षों तक जंगल काटने पर रोक लगा दी थी।
कौन थीं गौरा देवी
  • गौरा देवी का जन्‍म उत्‍तराखंड के लाता गांव में 1924 में हुआ था।
  • गौरा देवी कभी स्‍कूल नहीं गईं थी।
  • इनकी शादी महज 12 साल में रैणी गांव न‍िवासी मेहरबान स‍िंह से हो गई थी।
  • शादी के 10 वर्ष बाद इनके पत‍ि की मृत्‍यु हो गई थी, जिसके बाद बच्‍चों की ज‍िम्‍मेदारी इनके ऊपर अकेले आ गई थी।
66 वर्ष की उम्र में अलव‍िदा
  • गौरा देवी ने पर‍िवार और समाज के प्रत‍ि अपनी ज‍िम्‍मेदार‍ियों को अच्‍छे से संभाला।
  • हमेशा कुछ अलग करने की चाहत रखने वाली गौरा देवी महिला मण्डल की अध्यक्ष भी बनी थीं।
  • अपने जीवन काल में कभी विद्यालय न जाने वाली गौरा को वेद ,पुराण, रामायण, भगवतगीता, महाभारत आद‍ि का अच्‍छा ज्ञान था।
  • गौरा देवी ने जुलाई 1991 में महज 66 साल की उम्र में इस द‍ुन‍िया के अलव‍िदा कह द‍िया था।

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