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मन की बात में मोदी : हर घर तिरंगा और उत्सवधर्मी भारतीय जनमन

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में वर्षा के बाद जब खरीफ की फसलें पकती हैं, तब सितंबर में शिमला, मंडी, कुल्लू और सोलन में सैरी (मेला) या सैर (मेला) भी मनाया जाता है। सितंबर में ही जागरा भी आने वाला है। जागरा के मेलों में महासू देवता का आह्वान करके बीसू गीत गाए जाते हैं। महासू देवता का ये जागर हिमाचल में शिमला, किन्नौर और सिरमौर के साथ-साथ उत्तराखंड में भी होता है।

मन की बात में मोदी : हर घर तिरंगा और उत्सवधर्मी भारतीय जनमन

मोदी ने कहा कि उन्हें हिमाचल प्रदेश से ‘मन की बात’ के एक श्रोता आशीष बहल का एक पत्र मिला है। उन्होंने अपने पत्र में चंबा के ‘मिंजर मेले’ का जिक्र किया है। मिंजर मक्के के फूलों को कहते हैं। जब मक्के में मिंजर आते हैं तो मिंजर मेला भी मनाया जाता है। इस मेले में देशभर के पर्यटक दूर-दूर से हिस्सा लेने के लिए आते हैं। संयोग से मिंजर मेला इस समय चल भी रहा है। आप अगर हिमाचल घूमने गए हुए हैं तो इस मेले को देखने चंबा जा सकते हैं।

उन्होंने कहा कि तेलंगाना के मेडारम का चार दिवसीय समक्का-सरलम्मा जातरा मेला देखने लायक है। इस मेले को तेलंगाना का महाकुम्भ कहा जाता है। यह मेला दो आदिवासी महिला नायिकाओं- समक्का और सरलम्मा के सम्मान में मनाया जाता है। ये तेलंगाना ही नहीं बल्कि छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र और आन्ध्र प्रदेश के कोया आदिवासी समुदाय के लिए आस्था का बड़ा केंद्र है। आंध्रप्रदेश में मारीदम्मा का मेला भी आदिवासी समाज की मान्यताओं से जुड़ा बड़ा मेला है। मारीदम्मा मेला ज्येष्ठ अमावस्या से आषाढ़ अमावस्या तक चलता है।

यहां का आदिवासी समाज इसे शक्ति उपासना के साथ जोड़ता है। यहीं, पूर्वी गोदावरी के पेद्धापुरम में मरिदम्मा मंदिर भी है। इसी तरह राजस्थान में गरासिया जनजाति के लोग वैशाख शुक्ल चतुर्दशी को ‘सियावा का मेला’ या ‘मनखां रो मेला’ का आयोजन करते हैं। उन्होंने कहा कि कोरोना के खिलाफ लड़ाई में आयुष ने वैश्विक स्तर पर अहम भूमिका निभाई है। दुनियाभर में आयुर्वेद और भारतीय औषधियों के प्रति आकर्षण बढ़ रहा है। यह एक बड़ी वजह है कि आयुष निर्यात में रिकॉर्ड तेजी आई है और यह सुखद कर देने वाला है कि इस क्षेत्र में कई नए स्टार्ट-अप भी सामने आ रहे हैं। हाल ही में एक वैश्विक आयुष निवेश और नवाचार सम्मेलन आयोजित किया गया। इसमें करीब दस हज़ार करोड़ रुपये के निवेश प्रस्ताव मिले हैं। कोरोना काल में औषधीय पौधों पर शोध में भी बहुत वृद्धि हुई है। इस बारे में बहुत से शोध प्रकाशित हो रहे हैं। निश्चित रूप से एक अच्छी शुरुआत है।

आजादी का अमृत महोत्सव एक जन आंदोलन का रूप ले रहा है। जीवन के सभी क्षेत्रों और समाज के हर वर्ग के लोग देश भर में विभिन्न कार्यक्रमों में भाग ले रहे हैं। आजादी के अमृत महोत्सव के तहत 13 से 15 अगस्त तक एक विशेष ‘हर घर तिरंगा’ अभियान चलाया जा रहा है। लोग इस अभियान का हिस्सा बनकर 13 से 15 अगस्त तक अपने घर पर तिरंगा जरूर फहराएं । तिरंगा हमें जोड़ता है। हमें देश के लिए कुछ करने के लिए प्रेरित करता है। 2 अगस्त से 15 अगस्त तक हम सभी अपनी सोशल मीडिया प्रोफाइल पिक्चर में तिरंगा लगा सकते हैं। भारत में अब विदेश से आने वाले खिलौनों की संख्या लगातार कम हो रही है।

पहले जहां 3 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा के खिलौने बाहर से आते थे, वहीं अब इनका आयात 70 प्रतिशत तक घट गया है। इसी दौरान भारत ने 2600 करोड़ रुपये से अधिक के खिलौनों को विदेशों में निर्यात किया है। पहले केवल 300-400 करोड़ रुपये के खिलौने ही भारत से बाहर जाते थे। महत्वपूर्ण बात यह है कि ये सब कोरोनाकाल में हुआ है। भारत के खिलौना उद्योग ने खुद को बड़े स्तर पर बदला है। भारतीय उत्पादक अब भारतीय पौराणिक कथाओं, इतिहास और संस्कृति पर आधारित खिलौने बना रहे हैं। देश में जगह-जगह छोटे उद्यमियों के बनाए खिलौने अब दुनियाभर में जा रहे हैं। भारत के खिलौना निर्माता विश्व के प्रमुख वैश्विक खिलौना ब्रांड के साथ मिलकर भी काम कर रहे हैं।

रिपोर्ट-डॉ दिलीप अग्निहोत्री

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