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दिल्ली चुनाव मे बीजेपी की करारी हार के पीछे छुपी है ये बड़ी वजह, आखिर कब खत्म होगा 22 साल का वनवास

दिल्ली विधानसभा चुनाव में लगातार दूसरी बार भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को करारी हार मिली है. बीजेपी ने दिल्ली में 22 साल का वनवास खत्म करने के लिए इस बार काफी प्रयास किया था.

भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की जीत के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अलावा केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, 6 राज्यों के मुख्यमंत्री, 9 केंद्रीय मंत्री और 40 से ज्यादा स्टार प्रचारकों ने जमकर प्रचार भी किया था, बावजूद इसके पार्टी को करारी हार का सामना करना पड़ा. लेकिन मतगणना शुरू होने के कुछ देर बाद से ही दिल्ली के बीजेपी ऑफिस में जो सन्नाटा पसारा वो अंत तक कायम रहा.

अरविंद केजरीवाल की अगुवाई में आम आदमी पार्टी की दिल्ली में जीत का रास्ता रोकने के लिए भारतीय जनता पार्टी ने जमकर तैयारी की और करीब 240 सांसदों को दिल्ली के चप्पे पर लगा दिया गया ताकि नेतागण जनता का वोट अपनी पार्टी के लिए हासिल कर सकें और कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों को भी वहां भेजा गया.

दिल्ली के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की ओर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सबसे बड़ा चेहरा रहे. चुनाव जीतने के लिए प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्रीय राजधानी में 2 चुनावी रैलियां कीं. जबकि कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने चार रैलियां कीं तो अरविंद केजरीवाल ने 3 बड़े रोड शो किए.

दिल्ली में मतदान से ठीक पहले भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने मेगा प्लान तैयार किया. इसके तहत बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने 240 सांसदों की ड्यूटी भी लगाई जिन्हें मतदान के दिन यानी अगले 4 दिन तक दिल्ली में रहने को कहा गया. साथ ही सांसदों को स्लम एरिया में रहने की हिदायत दी गई थी.

अरविंद केजरीवाल एक ओर जहां अपनी सत्ता बचाए रखने की कोशिश में जुटे थे तो बीजेपी ने 1993 के बाद दूसरी बार जीत हासिल करने की हरसंभव प्रयास किया. गृह मंत्री और मोदी के बेहद करीबी कहे जाने वाले अमित शाह ने चुनावी अधिसूचना जारी होने से करीब 25 दिन पहले ही द्वारका में भारत वंदना पार्क से चुनाव प्रचार अभियान शुरू कर दिया था और अंत तक वह प्रचार करते रहे.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तुलना में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने चुनावी रैली की जगह तीन बड़े रोड शो किए. इसके अलावा रोज छोटी-छोटी चुनावी सभाएं भी कीं. प्रचार के आखिरी चरण में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और महासचिव प्रियंका गांधी ने चार-चार चुनावी रैलियां कीं.

अमित शाह ने तो धुआंधार अंदाज में चुनाव प्रचार किया और केंद्र सरकार की नीतियों का जमकर जिक्र किया, लेकिन जनता ने उनकी एक न सुनी. बीजेपी के कई नेताओं की ओर विवादित और भड़काऊ बोल भी पार्टी के काम नहीं आई.

बीजेपी ने अंतिम समय तक चुनाव प्रचार किया लेकिन पार्टी लगातार दूसरी बार दिल्ली के चुनाव में दहाई का आंकड़ा तक नहीं छू सकी.

2015 के विधानसभा के लिहाज से देखा जाए तो बीजेपी ने पिछली बार की तुलना में ढाई गुना बेहतर प्रदर्शन किया, लेकिन सत्ता की दहलीज की क्या बात की जाए दहाई का आंकड़ा तक नहीं पहुंच सके. 2015 में बीजेपी को 3 सीटें मिली थीं तो इस बार उनके खाते में 8 सीटें आईं.

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