देश के सबसे बड़े व पुराने मुद्दे पर शनिवार को उच्चतम न्यायालय ने ऐतिहासिक निर्णय सुनाया है. सर्वोच्च न्यायालय ने अयोध्या मुद्दे पर ऐतिहासिक निर्णय सुनाते हुए विवादित धरती को हिन्दू पक्षकार राम जन्मभूमि न्यास को सौंप दिया है, जबकि केन्द्र व यूपी सरकार को यह आदेश दिया है कि मुस्लिम पक्षकार सुन्नी वक्फ बोर्ड को 5 एकड़ जमीन अयोध्या में कहीं पर दी जाए.
इस निर्णय को लेकर तमाम तरह की प्रतिक्रियाएं भी आ रही है. इसी कड़ी में उच्चतम न्यायालय के निर्णय को लेकर शनिवार को ही भारतीय विदेश सचिव विजय गोखले ने कुछ राष्ट्रों के राजदूतों को अवगत कराया. विदेश सचिव ने देश के इस जरूरी घटनाक्रम से विदेशी राजदूतों को अवगत कराया है.
फिलहाल यह साफ नहीं हो पाया है कि विदेश मंत्रालय की ओर से किन-किन राष्ट्रों को अयोध्या निर्णय को लेकर जानकारी दी गई है.
राम जन्मभूमि न्यास के हक में आया फैसला
चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की प्रतिनिधित्व में उच्चतम न्यायालय के पांच जजों ने 40 दिनों तक चली सुनवाई के बाद शनिवार को ऐतिहासिक निर्णय दिया है. इस न्यायालय ने हर पक्ष को बारीकी से सुनने व हर तथ्यों पर गौर करने के बाद विवादित धरती हिन्दू पक्षकार राम जन्म धरती न्यास को सौंप दिया, जबकि सुन्नी वक्फ बोर्ड को पांच एकड़ जमीने देने को आदेश दिया गया.
फैसले के दौरान न्यायालय ने सरकार से बोला है कि तीन महीने में एक ट्रस्ट बनाकर मंदिर निर्माण के लिए मार्ग प्रशस्त किया जाएगा. न्यायालय ने यह भी बोला कि यह निर्णय धर्म या आस्था के आधार पर नहीं बल्कि साक्ष्यों व तथ्यों के आधार पर किया गया है. क्योंकि कानून किसी आस्था पर निर्णय देने की इजाजत नहीं देता है.