मध्य प्रदेश के इंदौर की एक घटना इन दिनों चर्चा का विषय बनी हुई है। इंदौर के एक श्मशान परिसर में कथित रूप से ठहरे 20 लोगों पर कुछ संगठनों ने ‘रोहिंग्या मुस्लिम’ होने का संदेह जताया।
इसके बाद तो यह बात कानाफूसी के जरिये शहर में आग की तरह फैल गई। बात पुलिस तक जा पहुंची। पुलिस ने एक टीम भेजकर इन लोगों को पकड़ लिया। इन सभी को मंगलवार रात स्थानीय पुलिस थाने ले जाया गया। पुलिस ने छानबीन की तो पता चला कि ये सभी पश्चिम बंगाल के प्रवासी मजदूर हैं। इसके बाद पुलिस ने इन सभी लोगों को छोड़ दिया।
कल्पना चौहान ने बताया कि फिलहाल हमें प्रवासी मजदूरों के कब्जे से कुछ भी आपत्तिजनक नहीं मिला है। थाना प्रभारी ने बताया कि छोटा बांगड़दा क्षेत्र में इंदौर नगर निगम की सीवर लाइन का काम चल रहा है। इस काम के लिए पश्चिम बंगाल के प्रवासी मजदूरों को एक स्थानीय ठेकेदार लेकर आया था। उन्होंने बताया कि इन मजदूरों को कथित रूप से श्मशान परिसर में ठहराए जाने पर कुछ संगठनों की आपत्ति के बाद उन्हें ठेकेदार ने अन्य स्थान पर रुकवा दिया है।
पुलिस ने खुद इस वाकए की जानकारी बुधवार को साझा की। एरोड्रम पुलिस थाने की प्रभारी कल्पना चौहान ने बताया कि कुछ संगठनों की शिकायत पर हमने छोटा बांगड़दा क्षेत्र के एक मुक्तिधाम के पास से करीब 20 लोगों को थाने लाया था। इन सभी लोगों की पहचान के दस्तावेज जांचे गए। सभी के आधार कार्ड की फोटोकॉपी ली गई। छानबीन में ये लोग मूलतः पश्चिम बंगाल के रहने वाले मजदूर निकले। इसके बाद उनको मंगलवार रात ही थाने से जाने की अनुमति दे दी गई।