- Published by- @MrAnshulGaurav
- Wednesday, April 27, 2022
नयी दिल्ली: राष्ट्रीय राजधानी में जारी रायसीना डायलॉग के दूसरे दिन एक सत्र को संबोधित करते हुए विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने, मंगलवार को, देश की अगले 25 सालों की विदेश नीति की रूपरेखा पेश की. विदेश मंत्री ने कहा कि हमें हमारी क्षमताओं पर फोकस करना चाहिए और आने वाले समय में दुनिया के माहौल को देखकर हर क्षेत्र में लाभ उठाना चाहिए.
एस० जयशंकर ने कहा कि विश्व से संपर्क के वक्त यह ध्यान रखना होगा कि हम कौन हैं? हमें इस दायरे में सीमित नहीं रहना है कि वे कौन हैं? हमें दूसरे देशों से मंजूरी के ख्याल को छोड़ना पड़ेगा.
विदेश मंत्री ने अफगानिस्तान के मुद्दे पर यूरोप को भी आईना दिखाया. यूक्रेन संकट पर पूछे गए सवाल पर उन्होंने कहा कि हमने एक साल पहले ही पूरी मानवता को भयंकर संकट में छोड़ दिया था.
विदेश मंत्री एसo जयशंकर ने यूरोप को दिलाई अफगानिस्तान संकट की याद
रायसीना डायलॉग के संवाद सत्र में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि यूरोप के लिए यूक्रेन में संकट ‘चेताने वाला’ हो सकता है, ताकि वह यह भी देखे कि एशिया में क्या हो रहा है. उन्होंने कहा कि पिछले 10 वर्षों से यह दुनिया का आसान हिस्सा नहीं है.
भारत की यात्रा पर आई नार्वे की विदेश मंत्री एनीकेन हुईतफेल्त ने यूक्रेन का मुद्दा उठाया और भारत की प्रतिक्रिया जाननी चाही, जयशंकर का जवाब था कि भारत की स्थिति स्पष्ट है, हम वहां युद्ध की समाप्ति और बातचीत की प्रक्रिया फिर से शुरू करने का समर्थन करते हैं.
इसके बाद जयशंकर ने उन्हें अफगानिस्तान की याद दिलाते हुए कहा कि जब हम संप्रभुता को आदर देने की बात करते हैं तो याद रखना चाहिए कि एक वर्ष पहले ही हमने एक पूरी मानवता को भयंकर संकट में छोड़ दिया. सभी देश अपने हितों और भरोसे में सामंजस्य बनाने में जुटे हैं और इसमें कुछ गलत नहीं है.
लक्ज़मबर्ग के विदेश मंत्री जीन एस्सेलबॉर्न ने इस महीने की शुरुआत में रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव की भारत यात्रा का जिक्र करते हुए जयशंकर से यूक्रेन पर हमला करने के लिए मास्को के औचित्य के बारे में पूछा. जवाब में जयशंकर ने कहा कि यह सर्गेई लावरोव को करना है. मैं यूक्रेन या किसी अन्य मामले पर भारत के विचारों को सही ठहराने के लिए तैयार हूं. मुझे नहीं लगता कि इसमें योगदान करने के लिए मेरे पास विशेष रूप से कुछ नया है. रूस-यूक्रेन संघर्ष में कोई वास्तविक विजेता नहीं हैं.
हमने एशिया की ओर देखने के लिए कहा, यूरोप ने हमें व्यापार बढ़ाने की नसीहत दी-जयशंकर
विदेश मंत्री ने चीन के संदर्भ में कहा कि जब एशिया में नियम-आधारित व्यवस्था को चुनौती दी जा रही थी, तब यूरोप द्वारा भारत को और अधिक व्यापार करने की सलाह दी गई थी. लेकिन हम आपको ऐसी कोई सलाह नहीं दे रहे हैं. हमने यूरोप को एशिया की ओर देखने की सलाह दी, जिसकी सीमाएं अस्थिर थीं.
विदेश मंत्री यहीं नहीं रुके, उन्होंने अपने जवाब में आगे कहा कि एशिया में हम अपनी चुनौतियों का सामना करते हैं, जो अक्सर नियम-आधारित व्यवस्था को प्रभावित करती हैं.
जयशंकर ने यूक्रेन-रूस युद्ध के बाद दुनिया में आए एनर्जी और खाद्य संकट का जिक्र करते हुए कहा कि दुनिया में खाद्यान्नों की कमी हो रही है और खाने पीने की चीजें महंगी हो रही हैं. भारत यहां काफी मदद कर सकता है. हम कृषि उत्पादों और खास तौर पर गेहूं का निर्यात बढ़ा सकते हैं. हम कोशिश कर रहे हैं कि किस तरह से गेहूं की वैश्विक कमी को पूरा करने में मदद करें.
उन्होंने आगे कहा कि यहां कुछ नियमों को लेकर दिक्कत है कि हम अपने भंडार से कितना निर्यात कर सकते हैं. इस बारे में डब्लूटीओ के नियम हैं। उसमें बदलाव करना होगा. यह सामान्य स्थिति नहीं है, इसिलए उम्मीद है कि डब्लूटीओ इस नियम पर पुनर्विचार करेगा। हम इस क्षेत्र में बहुत बड़ा योगदान कर सकते हैं और इसके लिए हम तैयार हैं.
रायसीना डायलॉग में विदेश मंत्री जयशंकर का लहजा भारतीय कूटनीति के बढ़ते आत्मविश्वास को बताता है. विदेश मंत्री रायसीना डायलॉग के सातवें संस्करण में रूस के साथ उसके घनिष्ठ संबंधों के बारे में सवालों के जवाब दे रहे थे.
(रिपोर्ट: शाश्वत तिवारी)