- Published by- @MrAnshulGaurav
- Saturday, July 09, 2022
लखनऊ। अखिल हांडा वह नाम है, जो 110 साल पुराने देश के दूसरे सबसे बड़े बैंक बैंक ऑफ़ बड़ोदा के डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन की अगुआई कर रहा है. अखिल इससे पहले फिनटेक उद्यमी, उद्योग विश्लेषक और निवेश बैंकर के अलावा, चर्चित एनजीओ सिटीजन्स फॉर एकाउंटेबिल गवर्नेंस के संस्थापक सदस्य भी रह चुके हैं.
हालिया समय में अखिल, बैंक ऑफ़ बड़ोदा के प्रबंध निदेशक और सीईओ के सलाहकार होने के साथ साथ फिनटेक के मुखिया और बैंक के न्यू बिज़नेस इनिशिएटिव के मुखिया भी हैं, जो बैंक ऑफ़ बड़ोदा को डिजिटल बैंक में बदलने को संभव और मुमकिन बनाने की जिम्मेवारी निभा रहे हैं. जब समाजसेवी इंजीनियर संजय शर्मा ने अखिल हांडा के प्रोफेशनल क्रियाकलापों के सम्बन्ध में आरटीआई से सूचना मांगीं तो बैंक ऑफ़ बड़ोदा के केन्द्रीय जन सूचना अधिकारी ने एक बेहद चौंकाने वाला उत्तर दिया है.
बीती 17 जून को संजय ने अखिल की जॉइनिंग, चयन, डेट ऑफ़ बर्थ, एजुकेशन क्वालिफिकेशन, बैंकिंग एक्सपीरियंस, सेवा शर्तों, सेवा के लाभों, ली गई छुट्टियों, सेवा के अधिकारों और चयन में राजनैतिक दखल होने अथवा नहीं होने के सम्बन्ध में 18 बिन्दुओं पर सूचना मांगी थी.
मुंबई स्थित बड़ोदा कॉर्पोरेट सेंटर के उप महाप्रबंधक (आरबीएस) एवं जन सूचना अधिकारी बिपिन चन्द्र खन्ना ने बीती 5 जुलाई को पत्र जारी करके संजय को जो जानकारी दी है, वह बेहद चौंकाने वाली है. संजय की आरटीआई अर्जी के सभी 18 बिन्दुओं पर बिपिन ने लिखा है कि “मांगी गई सूचना तृतीय पक्ष से सम्बंधित है, जो व्यक्ति की गोपनीयता पर अवांछित आक्रमण का कारण बनेगी। इसलिए हम आपको मांगी गई सूचना आरटीआई कानून की धारा 8(1)(ज) के अंतर्गत, प्रदान करने में असमर्थ हैं.
संजय कहते हैं कि आरटीआई कानून की धारा 8(1)(ज) के अंतर्गत, किसी नागरिक को ऐसी सूचना देने की बाध्यता नहीं होगी, जिससे अपराधियों के अन्वेषण, पकड़े जाने या अभियोजन की प्रक्रिया में अड़चन पड़ेगी.
संजय ने बताया कि बिपिन के इस उत्तर के आधार पर वे लोकपाल में शिकायत दर्ज करके अखिल की जॉइनिंग, चयन, डेट ऑफ़ बर्थ, एजुकेशन क्वालिफिकेशन, बैंकिंग एक्सपीरियंस, सेवा शर्तों, सेवा के लाभों, ली गई छुट्टियों, सेवा के अधिकारों और चयन में राजनैतिक दखल होने अथवा नहीं होने के सम्बन्ध में जांच करने की मांग करने जा रहे हैं.
बिपिन ने संजय को प्रथम अपीलीय अधिकारी का विवरण देते हुए लिखा है कि यदि वे उत्तर से संतुष्ट नहीं हैं, तो 30 दिन के अन्दर अपील दायर कर सकते हैं. संजय ने कहा है कि सूचना लेने के लिए वे प्रथम अपील दायर करेंगे और यदि आवश्यक हुआ, तो बाद में आवश्यकतानुसार केन्द्रीय सूचना आयोग और उच्च न्यायालय की भी शरण लेंगे.