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संसद में जमकर हुई तकरार, लोकसभा में शाह ने संभाला मोर्चा; राज्यसभा में रिजिजू का आश्वासन

नई दिल्ली:  लोकसभा में हंगामे के बीच उत्तर प्रदेश की डुमरियागंज से निर्वाचित भाजपा सांसद और संयुक्त संसदीय समिति के प्रमुख जगदंबिका पाल ने सदन के पटल पर जेपीसी की रिपोर्ट पेश की। इसके बाद भारत माता की जय के नारे भी लगे। इसके बाद गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि स्पीकर को रिपोर्ट का कोई भी हिस्सा रखने या हटाने का पूरा अधिकार है। उन्होंने कहा कि संसदीय कार्यप्रणाली और नियमावली को देखते हुए नीर-क्षीर विवेक के आधार पर स्पीकर को फैसला करना है, जिस पर भाजपा को कोई आपत्ति नहीं है। इसके बाद स्पीकर ओम बिरला ने भी कहा कि विपक्षी सांसदों की असहमतियों और सभी बयानों को संसदीय नियमावली के आलोक में जेपीसी की रिपोर्ट के साथ संलग्न किया गया है।

सरकार पर असहमति के स्वर को जगह नहीं देने का आरोप
राज्यसभा में जेपीसी रिपोर्ट मेधा कुलकर्णी ने पेश की। रिपोर्ट पेश होने के बाद नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि इससे कई सदस्य असहमत हैं। खरगे ने जेपीसी की रिपोर्च को फर्जी और अलोकतांत्रिक करार दिया। उन्होंने कहा कि बाहर से सदस्यों को आमंत्रित कर बयान दर्ज किए जा रहे हैं। ऐसी असंसदीय रिपोर्ट को सदन की कार्यवाही का हिस्सा नहीं बनाया जाना चाहिए। खरगे ने कहा कि अगर रिपोर्ट में असहमति के स्वर को जगह नहीं दी गई है तो ऐसी स्थिति में इसे अस्वीकार किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की रिपोर्ट को हर हाल में वापस किया जाना चाहिए।

सरकार का स्पष्टीकरण
जेपीसी की रिपोर्ट को लेकर केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री ने कहा कि संसदीय नियमावली में नियम 72 से 92 तक चयन समिति से जुड़े नियमों का उल्लेख किया गया है। उन्होंने नियमों का हवाला देते हुए साफ किया कि सभापति को पूरा अधिकार है कि किसी रिपोर्ट को स्वीकार करना सभापति का विशेषाधिकार है। उन्होंने कहा कि सभापति को नियमों के तहत शक्तियां प्रदत्त हैं। इसलिए सभापति के फैसले को गलत नहीं बताया जा सकता। विपक्ष की आपत्ति बेबुनियाद और तथ्यहीन है। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि जेपीसी की रिपोर्ट नियमों के तहत तैयार की गई है। उन्होंने कहा कि जेपीसी की रिपोर्ट सदन में पेश किए जाने के बाद विपक्ष उस पर चर्चा के लिए स्वतंत्र है। विपक्ष जानबूझकर गतिरोध और व्यवधान पैदा कर रहा है।

जेपीसी की रिपोर्ट में असहमति के बयान भी, केवल आक्षेप लगाने वाले कुछ अंश हटाए गए: रिजिजू
संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि जेपीसी की रिपोर्ट से किसी हिस्से को हटाने का आरोप बिल्कुल झूठा है। उन्होंने कहा कि किसी भी नियम का उल्लंघन नहीं किया गया है। अब सदन के पटल पर रिपोर्ट पेश किए जाने पर विपक्षी सदस्य गुमराह कर रहे हैं। रिजिजू ने कहा कि असहमति के तमाम बयानों को भी जेपीसी की रिपोर्ट में शामिल किया गया है। सभी बातें सदन के रिकॉर्ड में हैं। विपक्ष का व्यवहार निंदनीय है। उन्होंने कहा, संसदीय समिति पर आक्षेप लगाने वाले कुछ अंश रिपोर्ट से हटाए गए हैं। समिति पर ही संदेह पैदा करने वाले कुछ बिंदुओं को हटा दिया गया है। समिति के अध्यक्ष को ऐसा करने का अधिकार है। सब कुछ नियमों के अनुसार किया गया है।

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