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विकसित भारत के लिए मजबूत कूटनीति व व्यापार साझेदारी जरूरी

शाश्वत तिवारी

नई दिल्ली। मौजूदा वैश्विक अस्थिरता (Current Global Instability) के बीच भारत की कूटनीति (India’s Diplomacy) एक अहम भूमिका (Important Role) निभा रही है। भारत उन चुनिंदा देशों में शामिल है, जो एक साथ रूस-यूक्रेन (Russia-Ukraine) , इजरायल-ईरान (Israel-Iran), लोकतांत्रिक पश्चिम (Democratic West) और ग्लोबल साउथ (Global South) के साथ ही ब्रिक्स और क्वाड (BRICS and Quad) के साथ संवाद (Simultaneously Communicate) कर सकता है।

विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर ने बिजनेस टुडे वुकानॉमिक्स 2025 में ‘डिप्लोमेसी इन द एज ऑफ डिसरप्शन’ विषय पर संबोधित करते हुए कहा कि कैसे भारत की विदेश नीति आर्थिक विकास, व्यापार और राष्ट्रीय हितों को मजबूत कर रही है। जयशंकर ने कहा कि भारत को ‘विकसित देश’ बनाने के लिए कूटनीति और व्यवसायों को मिलकर काम करना होगा। उन्होंने कहा हमारी विदेश नीति का लक्ष्य है कि भारत वैश्विक स्तर पर मजबूत हो और व्यापार तथा निवेश के लिए सबसे आकर्षक गंतव्य बने।

विदेश मंत्रालय के अनुसार विदेश मंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि सबका साथ, सबका विकास, की नीति भारत की विदेश नीति पर भी लागू होती है। जयशंकर ने कहा कि व्यापार, तकनीक, ऊर्जा या सुरक्षा- हर क्षेत्र में भारत अधिक से अधिक विकल्प खुले रखना चाहता है। उन्होंने बताया कि भारत इस समय यूरोपीय संघ, ब्रिटेन और अमेरिका के साथ व्यापार समझौतों पर बातचीत कर रहा है और हाल ही में न्यूजीलैंड के साथ भी वार्ता शुरू की गई है।

विदेश मंत्री ने भारत की ऊर्जा कूटनीति पर जोर देते हुए कहा कि यूक्रेन संघर्ष के बाद भारत ने अपने ऊर्जा विकल्पों की रक्षा की। उन्होंने कहा हर देश ने अपने हितों के अनुसार फैसले लिए और भारत ने भी वही किया। उन्होंने कहा कि भारत विश्वसनीय सप्लाई चेन बनाने पर ध्यान दे रहा है। गल्फ क्षेत्र में भारत को आवश्यक वस्तुओं का भरोसेमंद आपूर्तिकर्ता माना जाता है। जयशंकर ने कहा कि भारत ने हाल ही में लैटिन अमेरिका, अफ्रीका और भूमध्य सागर में व्यापार सम्मेलनों का आयोजन किया, ताकि भारतीय व्यवसायों को नए बाजारों में अवसर मिल सके।

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