(शाश्वत तिवारी) देश के महान क्रांतिकारी वीर सावरकर पर बनी, इस फिल्म को जरूर देखें और अपनी नई पीढ़ी को भी दिखाएं, ताकि हर भारतीय इस अमर बलिदानी को जान सके, जिसे एक परिवार ने गुमनामी में धकेल दिया।
सावरकर मूवी को पहले महेश मांजरेकर डायरेक्ट कर रहे थे, उन्होंने सावरकर के जीवन पर आधारित इस फिल्म की स्क्रिप्ट हकीकत से परे, बहुत ही झोल (फिल्मी ड्रामा टाइप) वाली राखी थी, जिससे अख्तर, शाह, भट्ट और खान वगैरह उनसे नाराज ना हो पाए।
रणदीप हुड्डा ने मूवी साइन करने के बाद सावरकर का पूरा इतिहास, ए टू जेड पढ़ा। हुडा को मांजरेकर का दिया हुआ स्क्रिप्ट पसंद नही आयी, क्योंकि वो सावरकर की रियाल स्टोरी से बहुत हटके थी। हुड्डा ने मांजरेकर से कहा की सावरकर जैसी महान शख्सियत को हम आप की इस स्क्रिप्ट के मुलाबिक, ऐसे फालतू पोट्रेट नही कर सकते। सावरकर की कहानी और उससे जुड़े सभी तथ्य, सब कुछ रियल होना चाहिए।
फिल्म की स्क्रिप्ट को लेकर दोनो के बीच काफी कहासुनी के बावजूद, मांजरेकर ने हुड्डा को बोला कि मैं तो अपनी स्क्रिप्ट पर ही फिल्म बनाऊंगा, मेरे को फिल्म इंड्रस्ट्री में अभी अपना हुक्का पानी बंद नही कराना है। ये फिल्म तू अपने हिसाब से बना ले, ये कहते हुए मांजरेकर फिल्म का सेट छोड़ भाग गया।
मांजरेकर को भागते देख, मूवी का प्रोड्यूसर भी भाग गया।
रणदीप हुड्डा ने सावरकर पर कई महीनो लगातार गहराई से स्टडी की थी ओर ठान लिया था कि मैं ही इस महान किरदार की इस फिल्म को पूरा करूंगा। चाहे प्रोड्यूस करना हो, खुद ही डायरेक्शन से ले के एक्टिंग करना हो।
क्योंकि हुड्डा कम मूवीज में काम कर रहे है, हुड्डा के साथ पैसे की समस्या थी। वो हरियाणा में अपने पिता के पास गये और पूरी घटना बताते हुए कहा कि मुझे सावरकरजी पर मुवी बनानी है, प्रोड्यूसर भाग गया है, और मेरे पास इतना पैसा नही है।
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देशभक्ति से लबरेज हुड्डा के पिता ने अगले ही दिन अपना घर, खेती_बाड़ी के सारे कागज़ात गिरवी रख कर पैसा इकट्ठा कर सावरकर पर मूवी बनाने के लिए हुड्डा को दे दिया। ये फिल्म 22 मार्च को रिलीज हो रही है, जिसमे रणदीप हुड्डा ने मुख्य किरदार निभाने के साथ ही इस फिल्म का लेखन, निर्देशन और सहनिर्माण भी किया है।