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ब्रज तीर्थ विकास परिषद के सांझी संरक्षण के प्रयासों की सर्वत्र सराहना

मथुरा। उप्र ब्रज तीर्थ विकास परिषद, उप्र पर्यटन द्वारा सांझी महोत्सव के अंतर्गत रसखान समाधि पर अंतिम दिन अनेक नई प्रकार की सांझी बनायी गयीं। वृंदावन के सौरभ गोस्वामी व साथी चित्रकारों ने परंपरागत कई प्रकार की सांझी बनायी। श्री कृष्ण इंटर कॉलेज गोकुल के शिक्षक अनिल सोनी, खुशबू उपाध्याय ने श्रीकृष्ण के आकर्षक चित्र बनाए। ये चित्र सूखे रंगों से तैयार किए। खजानी वूमेन इंस्टीट्यूट को छात्रा मुस्कान प्राची, यामिनी, हर्षिता और भावना ने मॉडर्न श्रीकृष्ण का आकर्षक चित्र बनाये। इन छात्राओं ने इससे पूर्व होली की सांझी, रास की सांझी और राधा कृष्ण की सांझी पर कैनवास बनायी।

वृंदावन के चित्रकारों के अलावा गोकुल की लक्ष्मी और गोवर्धन की कलाकार पूनम यादव ने गोबर की वे सांझी बनायीं जो समूचे श्राद्ध पक्ष में हर दिन के हिसाब से बनायी जाती हैं। चित्रकारों ने रंग बिरंगी परम्परागत सांझी बना कर सभी का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया। रसखान समाधि स्थल स्थित इंटरप्रिटेशन सेंटर में ब्रज की सांझी कलाष् विषयक सेमिनार का आयोजन भी हुआ। सेमिनार में ब्रजभाषा के कवि अशोक अज्ञ, ब्रजभाषा साहित्यकार सोटानंद जी नोएडा, उप्र ब्रज तीर्थ विकास परिषद की ओर से ब्रज

संस्कृति विशेषज्ञ डा. उमेश चन्द्र शर्मा, परिषद के कोऑर्डिनेटर चंद्र प्रताप सिंह सिकरवार व भागवताचार्य गोपाल गोप, विजेयता चतुर्वेदी ने ब्रज की सांझी कला के महात्म्य विषय पर विचार व्यक्त किए। सेमिनार के समापन पर कोआर्डिनेटर श्री सिकरवार ने कहा कि भविष्य में ब्रज तीर्थ विकास परिषद सांझी के अलावा अन्य कलाओं के संरक्षण कराएगी। उन्होंने सभी वक्ताओं का आभार व्यक्त किया। चौथे दिन रसखान समाधि स्थल के ओपन एयर थियेटर में परासोली के कलाकार गोपाल गोप व उनके कलाकारों ने रसखान के पदों पर संगीतमय प्रस्तुति दी। मंच पर राधा व गोपियों ने रास की प्रस्तुति दी।

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