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भाजपा के विस्तार का वैचारिक आधार

डॉ.दिलीप अग्निहोत्री

प्रारंभ में भाजपा का संख्या बल बहुत कमजोर हुआ करता था। एक बार उसके मात्र दो सदस्य ही लोक सभा पहुंच सके थे। उस समय एक पत्रकार वार्ता में लाल कृष्ण आडवाणी ने एक रोचक प्रसंग सुनाया था। एक बार विदेशी पत्रकारों की टीम उनसे मिलने आई। राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय विषयों पर भाजपा के विचारों पर खूब बात हुई। अंत्योदय से लेकर एकात्म मानव वाद तक चर्चा हुई। लालकृष्ण आडवाणी ने बताया कि उन पत्रकारों ने एक ऐसा प्रश्न पूंछा,जिससे वह संकोच में पड़ गए। ऐसा नहीं कि इसका उत्तर उन्हें पता नहीं था,लेकिन इतनी बातों के बाद उक्त प्रश्न अटपटा लगा।

विदेशी पत्रकार ने पूंछा था कि जहां से सरकार बनती है उस लोक सभा में आपकी पार्टी के कितने सदस्य है। शायद उच्च स्तर की वैचारिक बातों के बाद लाल कृष्ण आडवाणी इस प्रश्न से बचना चाहते थे। फिर जबाब तो देना ही था। उन्होंने बताया कि लोक सभा में इस समय हमारी पार्टी के दो सदस्य है। लेकिन एक सन्तोष अवश्य था कि संख्याबल कम होने के बाद भी भाजपा का देश विदेश तक वैचारिक आधार पर महत्व था। आज भाजपा सत्ता में है,लेकिन वैचारिक आधार पर सभी विपक्षी मिल कर भी उसका मुकाबला करने की स्थिति में नहीं है। स्थापना दिवस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसका उल्लेख भी किया।

निराधार आंदोलन

नरेंद्र मोदी ने कहा कि आजकल गलत नैरेटिव खड़े किए जा रहे हैं। सीएए,कृषि कानून और लेबर लॉ को लेकर लोगों को बरगलाया जा रहा है। इसके पीछे सोची समझी साजिश है और राजनीतिक अस्थिरता पैदा करना लक्ष्य है। कभी कहा जाता है कि संविधान बदल दिया जाएगा,नागरिका छीन ली जाएगी,किसानों की जमीन छीन ली जाएगी। कुछ लोग हार नहीं झेल पाए हैं इसलिए ऐसा कर रहे हैं,कुछ लोगों की बीजेपी से दुश्मनी है। ऐसे लोगों से सतर्क रहना है और लोगों को सावधान करना है। नरेंद्र मोदी ने कहा कि वंशवाद और परिवारवाद का क्या हश्र हुआ है,यह नया भारत देख रहा है। स्थानीय पार्टियां भी एक परिवार और कुछ लोगों की पार्टी बनकर रह गई हैं। ऐसी पार्टियों ने नकली सेक्युलिरिज्म का नकाब पहना हुआ था, वो उतर गया है।

यहां सेक्युलिरिज्म का मतलब कुछ लोगों के लिए योजनाएं,वोटबैंक के लिए नीतियां बना दिया गया है। भाजपा सबके हित में कार्य कर रही है,इसलिए उसे साम्प्रदायिक कहा जाता है। नरेंद्र मोदी ने कहा कि श्यामा प्रसाद मुखर्जी,दीनदयाल उपाध्याय से लेकर अटल बिहारी वाजपेयी ने बीजेपी को राह दिखाई, लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी जैसे नेताओं ने बीजेपी को आगे बढ़ाया है। हमारे यहां व्यक्ति से बड़ा दल और दल से बड़ा देश है। एक वक्त था जब अटल जी ने एक वोट से सरकार गिरने दी,लेकिन नियमों से समझौता नहीं किया। देश में राजनीतिक स्वार्थ के लिए दल टूटे हैं,लेकिन बीजेपी में कभी ऐसा नहीं हुआ। इमरजेंसी के वक्त बीजेपी के कई नेताओं को जेल में डाल दिया गया था। कोरोना काल में बीजेपी के कार्यकर्ताओं ने सेवा की, केंद्र और राज्य की भाजपा सरकारें आत्मनिर्भर भारत अभियान को आगे बढ़ा रही हैं।

अंत्योदय पर अमल

भाजपा सरकार महात्मा गांधी की सोच को लागू करने में लगी हुई है। आखिरी व्यक्ति तक योजनाओं का लाभ पहुंचा रही है। यही अंत्योदय का विचार है। जो अब साकार हो रहा है। सरकार छोटे किसानों को लाभ पहुंचाने में लगी है। नए कृषि कानून से लेकर अन्य कई योजनाओं के जरिए किसानों को लाभ पहुंचाया जा रहा है। बीजेपी ने तीन तलाक को खत्म किया,घर की रजिस्ट्री में महिलाओं को प्राथमिकता दी है। राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा कि बीजेपी अब दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी है,जो सेवा के रास्ते पर चल रही है। कोरोना काल में बीजेपी के कार्यकर्ताओं ने लाखों लोगों की सेवा की है।

8भाजपा चुनाव जीतने की मशीन नहीं है। पार्टी का लक्ष्य जनसेवा व देशभक्ति है। बीजेपी अगर चुनाव जीतती है, तो इसे चुनाव जीतने की मशीन कहा जाता है। अगर कोई और पार्टी चुनाव जीतती है,तो उसकी वाहवाही की जाती है। ऐसे लोग लोकतंत्र की परिपक्वता को नहीं समझ पाए हैं। बीजेपी का मतलब वंशवाद परिवार वाद की राजनीति से मुक्ति है।

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