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Lucknow University में डॉ लोहिया शोधपीठ द्वारा तीन दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन

Lucknow University के समाजशास्त्र विभाग के अंतर्गत आज डॉ राम मनोहर लोहिया शोधपीठ (Dr Ram Manohar Lohia Research Centre) द्वारा आयोजित ‘समकालीन भारत में राष्ट्र निर्माण की चुनौतियां’ विषय पर तीन दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी (25 से 27 मार्च 2025) का आयोजन, राधा कमल मुखर्जी सभागार में किया गया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य लोहिया जी के विचारों व आदर्शो तथा समकालीन भारत में राष्ट्र निर्माण की प्रक्रिया और चुनौतियां को वर्तमान समय में सामाजिक, आर्थिक व राजनीतिक परिप्रेक्ष्य में फिर से जानना और समझना है।

मुख्य सचिव ने मनकामेश्वर उपवन में इनर्ट सॉलिड रिमूवल मॉड्यूलर बायो-रेमेडीएशन सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट का निरीक्षण किया

Lucknow University में डॉ लोहिया शोधपीठ द्वारा तीन दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन

इस राष्ट्रीय संगोष्ठी का शुभारंभ आज दोपहर 3:00 बजे से किया गया, जिसमें मुख्य वक्ता रघु ठाकुर (Raghu Thakur), मुख्य अतिथि प्रोफेसर आनंद कुमार (पूर्व अध्यक्ष भारतीय समाजशास्त्र परिषद), विश्विद्यालय के कुलपति प्रोफेसर आलोक कुमार राय (Professor Alok Kumar Rai) और प्रोफेसर मनुका खन्ना (उप कुलपति) आदि उपस्थित रहे तथा मंच का संचालन डॉक्टर प्रमोद कुमार गुप्ता ने किया।

लोहिया शोधपीठ के निदेशक प्रोफेसर डीआर साहू (Professor DR Sahu) ने कार्यशाला में विभिन्न क्षेत्रों से आए अतिथियों व प्रवक्ताओं का स्वागत किया। इसमें उन्होंने आयोजित कार्यक्रम की पृष्ठभूमि एवं आयोजन के संबंध में जानकारी दीं साथ ही मुख्य अतिथियों का परिचय देते हुए दीप प्रज्जवलन के साथ कार्यक्रम का शुभारंभ किया। लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति आलोक कुमार राय ने कार्यक्रम में उपस्थित अतिथियों का स्वागत किया तथा उद्बोधन में कहा कि भारत के विश्वविद्यालयों में नए विचारों का परिष्करण करती हैं तथा उच्च शिक्षा और विश्वविद्यालय में मौलिकता पर ध्यान आकर्षित कराया।

Dr. Lohia Research Centre organized a three-day national seminar at Lucknow University

कार्यक्रम के मुख्य वक्ता के रूप में रघु ठाकुर (समाजवादी चिंतक) को आमंत्रित किया गया। उन्होंने अपने वक्तव्य में कहा कि लोहिया जी ने आजादी के बाद एक ऐसे भारत के निर्माण की परिकल्पना की थी जो न केवल आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर हो बल्कि सामाजिक समानता और न्याय पर आधारित हो, जो आज भी व्यावहारिक दृष्टि से बहुत ही प्रासंगिक है।

उन्होंने यह भी ध्यानाकर्षित किया कि एक बार जय प्रकाश नारायण ने लोहिया के बारे में कहा था कि वे अपने समय के 100 वर्ष के आगे के बारे में सोचते थे, तथा उनकी सात क्रांतियों का भी जिक्र किया। इसके साथ ही साथ भारत में लोकतंत्र के समक्ष चुनौतियों, आर्थिक साम्राज्यवाद, धर्मनिरपेक्षता तथा सर्व धर्म समभाव, शिक्षा का निजीकरण और राहत, मुफ्तखोरी एवं क्रांति इन तीनों का भी जिक्र किया और राष्ट्र की सीमाओं को सशक्त करने की बात कही।

प्रोफेसर आनंद कुमार (JNU) ने अपने वक्तव्य में बताया कि लोहिया का दृष्टिकोण गांधीवादी सिद्धांतों और वैज्ञानिक समाजवाद का अनूठा मिश्रण था। उन्होंने पूंजीवाद और साम्यवाद दोनों की आलोचना करते हुए “तीसरा मार्ग” प्रस्तावित किया, जो लोकतांत्रिक समाजवाद पर आधारित था। लोहिया ने भाषाई समानता (हिंदी और क्षेत्रीय भाषाओं को प्राथमिकता), और सामाजिक न्याय के माध्यम से भारतीय पहचान को मजबूत करने पर जोर दिया तथा लोहिया जी की विचारधारा में विकेंद्रीकरण, सामाजिक समानता, जाति-व्यवस्था का विरोध, और नारी मुक्ति जैसे मुद्दे केंद्रित हैं।

Lucknow University में डॉ लोहिया शोधपीठ द्वारा तीन दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन

उन्होंने “सप्त क्रांति” के माध्यम से समाज के हर स्तर पर परिवर्तन की वकालत की, जिसमें शिक्षा, संस्कृति, और आर्थिक नीतियों का पुनर्गठन शामिल था। इसके साथ साथ साथ आर्थिक साम्राज्यवाद की चुनौतियों को दूर करना अति आवश्यक बताया और भारत की बहुधार्मिकता तथा बहुसांस्कृतिकता की महत्ता का उल्लेख किया। कार्यक्रम समापन का धन्यवाद ज्ञापन डॉ सरोज कुमार ढल ने किया और इस कार्यशाला में समाजशास्त्र विभाग के समस्त स्टाफ और डॉक्टर राममनोहर लोहिया शोध पीठकर्मी डॉ शैलेन्द्र कुमार व शिप्रा पंवार तथा समस्त विभागीय स्टाफ, समस्त शोधार्थी एवं छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।

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