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आज है योगिनी एकादशी का व्रत, जानें पूजा का सही समय और व्रत कथा

आज योगिनी एकादशी का व्रत है. जिन लोगों के जीवन में किसी भी प्रकार का संकट या बाधा बनी हुई है उनके लिए आज योगिनी एकादशी व्रत बहुत महत्वपूर्ण है. विधि पूर्वक आज पूजा करें और इस एकादशी व्रत का पूर्ण लाभ प्राप्त करें. आज की जाने वाली पूजा कई गुणा लाभकारी मानी गयी है. योगिनी एकादशी के व्रत की महानता और विशेषताओं के बारे में भगवान कृष्ण ने युधिष्ठिर को बताई थी.

योगिनी एकादशी व्रत निर्जला एकादशी के बाद और देवशयनी एकादशी से पहले आती है. योगिनी एकादशी का व्रत सभी प्रकार के पापों से मुक्ति दिलाता है. वहीं हर प्रकार की सुख समृद्धि प्राप्त करने में यह व्रत बहुत ही प्रभावशाली माना गया है. मान्यता है कि इस व्रत को रखने से हर प्रकार की मनोकामना पूर्ण होती है और अरोग्य प्राप्त होता है.

योगिनी एकादशी व्रत का मुहूर्त
17 जून, 2020- योगिनी एकादशी
17 जून, 2020- योगिनी एकादशी का समापन: शाम 4 बजकर 50 मिनट पर
व्रत का पारण: 18 जून 2020 को प्रात: 05.28 से 08.14 तक

पूजा की विधि
एकादशी के दिन सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान करें और सूर्य को जल अर्पित करें. इसके बाद पूजा स्थान को शुद्ध करें और भगवान विष्णु की प्रिय चीजों से श्रृंगार करें. इसके बाद पीले वस्त्र, पीले पुष्प और मिष्ठान अर्पित करें और धूप जलाकर व्रत आरंभ करें.

व्रत कथा: राजा के शाप से माली को मिला मृत्युलोक

कुबेर नामक एक राजा जो भगवान शिव का भक्त था. वो हर दिन भोलेनाथ की पूजा करता था. पूजा के लिए हेम नामक एक माली फूल लाता था. हेम माली की पत्नी का नाम विशालाक्षी था. यह अत्यंत सुंदर स्त्री थी. एक दिन माली सरोवर से पुष्प लाने के बाद अपनी पत्नी से वार्तालाप करने लगा और राजमहल जाना भूल गया. उधर राजा पूजा के लिए माली का इंतजार करता रहा.

जब काफी देर हो गई और माली नहीं आया तो राजा ने सैनिकों को आदेश दिया कि जाओ माली का पता लगाओ. सैनिकों ने लौटकर राजा को बताया कि माली अपनी पत्नी के साथ हास्य-परिहास में लीन था. यह सुनकर राजा कुबेर को गुस्सा आ गया और माली को तुरंत हाजिर होने का आदेश दिया.

माली डरता डराता राजा के समाने पहुंचा. राजा कुबेर ने माली श्राप देते हुए कहा, तुमने महादेव का अनादर किया है. मैं तुझे श्राप देता हूं कि तू पत्नी के वियोग में तड़पेगा. मृत्युलोक में जाकर तू कोढ़ी हो जाएगा.’ श्राप के चलते मृत्युलोक में हेम माली ने बहुत सारे कष्ट सहे. एक बार तो भयानक जंगल में जाकर बिना अन्न और जल के हेम माली भटकता रहा.

फिर वह ऋषि मार्कण्डेय के आश्रम में जा पहुंचा. उसने ऋषि को अपनी कहानी बताई. ऋषि ये सुनकर बोले- तुमने कोई बात नहीं छिपाई है इसलिए मैं तुम्हे उद्धार के लिए एक व्रत बता रहा हूं, अगर तुम योगिनी एकादशी का विधि-विधान से व्रत करोगे तो सभी पापों  का विनाश हो जाएगा. माली ने ऐसा ही किया. विधिपूर्वक योगिनी एकादशी का व्रत रखा और भगवान ने प्रसन्न होकर उसे स्वर्ग में स्थान दिया जहां वह अपनी पत्नी के साथ प्रसन्नता के साथ रहने लगा.

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