इन रंगों में कुछ ऐसे भी रसायन मिले होते है जिनके प्रयोग से त्वचा के झुलसने का खतरा होता है। अगर ये रंग आंखों में चले जाए तो इनसे आंखों को भी क्षति पहुंच सकती है। कई बार सांस के जरिये ये रंग फेफड़ों में भी जमा हो जाते है जिसके कारण संक्रमण हो सकता है। इसलिए सभी को केमिकल युक्त रंगों से होली खेलने से बचना चाहिए।
- Published by- @MrAnshulGaurav,
- Tuesday, 15 March, 2022
औरैया। होली में केमिकल युक्त रंगों का प्रयोग आप के लिए घातक हो सकता है। इससे त्वचा के झुलसने के साथ ही साँस और नेत्र रोग जुड़ी बीमारियाँ भी हो सकती हैं। इसलिए, होली पर केमिकल युक्त रंगों के प्रयोग से बचें और हर्बल रंगों के साथ होली की खुशियाँ मनाएं। यह कहना है मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. अर्चना श्रीवास्तव का।
डा. श्रीवास्तव ने कहा कि होली पर सभी को कोविड प्रोटोकाल का भी अवश्य पालन करना चाहिए। खास तौर पर उन लोगों को जो कोविड संक्रमण से गुज़र चुके हैं। ऐसे लोगों के लिए रसायन युक्त रंग काफी नुकसानदायक हो सकता है।
जिला क्षय रोग अधिकारी डा. अशोक राय कहते हैं कि वर्तमान दौर में होली खेलने के लिए लोग जिन रंगों का ज़्यादातर प्रयोग करते हैंं, वह ऐसे रसायनों से तैयार किये जाते है जो लोगों के लिए बेहद ही हानिकारक होते हैं। होली पर जिन लोगों को इस तरह के रंग लगाये जाते हैं, उन्हें त्वचा रोग होने का सर्वाधिक खतरा रहता है। रसायनों से युक्त रंग लगने के कुछ ही देर बाद त्वचा में तेज जलन, खुजली और दानों या फफोलों का निकलना शुरू हो जाता है।
इन रंगों में कुछ ऐसे भी रसायन मिले होते है जिनके प्रयोग से त्वचा के झुलसने का खतरा होता है। अगर ये रंग आंखों में चले जाए तो इनसे आंखों को भी क्षति पहुंच सकती है। कई बार सांस के जरिये ये रंग फेफड़ों में भी जमा हो जाते है जिसके कारण संक्रमण हो सकता है। इसलिए सभी को केमिकल युक्त रंगों से होली खेलने से बचना चाहिए।
इस तरह करें बचाव-
अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा शिशिर पुरी कहते हैं कि केमिकल युक्त रंगों से बचाव का बेहतर तरीक़ा है कि होली वाले रोज़, घर निकलने से पहले पूरे शरीर में नारियल का तेल अवश्य लगाये। ऐसे कपड़े पहने जिससे शरीर का अधिकांश हिस्सा ढका रहे। इतना करने के बाद भी यदि किसी ने आपकों केमिकल युक्त रंग लगा दिया है और आपके शरीर के किसी हिस्से में जलन अथवा किसी भी तरह की परेशानी हो तो चिकित्सक से तत्काल परामर्श लेना चाहिए।
हर्बल रंगों का करें प्रयोग-
क्षेत्रीय आयुर्वेद अधिकारी डा. मनोज दिक्षित कहते हैं कि पहले के जमाने में होली हर्बल रंगों से ही खेली जाती थी। लोग टेसू या फिर अन्य फूलों को भिगा कर होली खेलने के लिए रंग तैयार करते थे। इसके साथ ही चंदन, रोली का प्रयोग भी होली खेलने में होता था। ऐसे में होली पर लोगों को केमिकल रंगों से बचते हुए हर्बल रंगों का प्रयोग करना चाहिए।
फूलों की होली भी एक बेहतरीन विकल्प – डा. मनोज दिक्षित कहते हैं कि फूलों की होली एक बेहतरीन विकल्प है। इसका प्रचलन भी हाल के वर्षों में तेजी से बढ़ा है। गुलाब की पंखुड़ियों से होली खेलकर रासायनिक रंगों से बचा जा सकता है।
रिपोर्ट-शिव प्रताप सिंह सेंगर