Kushinagar, (Munna Rai)। बसंत कालीन गन्ना की बुआई (Sowing Sugarcane) का कार्य शुरू हो गयी है। जैसे जैसे तापक्रम बढ़ता है। उसी क्रम में गन्ना फसल में पिहीका (Pihika) कीट अंकुर बेधक का प्रकोप बढ़ जाता है। जिसका पैदावार पर भारी असर पड़ता है। पिहीका (Pihika) कीट नियंत्रण के लिए किसान ‘टेकोरेल’ ( ‘Tecoral’ ) कीटनाशक का प्रयोग करें।
उक्त जानकारी उप्र गन्ना किसान संस्थान पिपराइच, गोरखपुर के पूर्व सहायक निदेशक डॉ ओमप्रकाश गुप्ता ने एक विज्ञप्ति में दी है। उन्होंने बताया कि पिहीका कीट के प्रकोप से गन्ने की पौध की गोंफ़ (सीका) सुख जाता है और किनारे की पत्तियां हरी रहती हैं। गोफ़ आसानी से खींचने पर निकल जाता है। कहा कि किसान नाली में बोए गन्ना बीज के ऊपर कीटनाशक टेकोरेल मात्र आठ किलो प्रति एकड़ प्रयोग करें। इसके प्रयोग से पिहिका कीट नहीं लगेगा।
इस कीट के प्रकोप से पौधा में गन्ना नहीं बनता है। पेड़ी गन्ने में निराई गुड़ाई करते समय टेकोरेल का प्रयोग कर सिंचाई करें। फायदेमंद होगा। कृषि विशेषज्ञ विपिन कुमार तिवारी ने बताया कि टेकोरेल के प्रयोग से कीट नियंत्रण के साथ ही पौध का विकास होता है। मथ मुडिया कीट टॉप बोरर के नियंत्रण के लिए मई माह में जायकोर मात्रा 150 मिली प्रति एकड़ के लिए 400 लीटर पानी में मिलाकर डेनचिंग करें। पेड़ी गन्ने कीसिंचाई गुड़ाई कर 50 किग्रा डीएपी और 50 किग्रा यूरिया जड़ों में डालें। जिस नाली में पौध नहीं है वहां पौधा रोपाई करें और नमी बनाए रखें। श्री गुप्ता ने बताया कि गन्ने की अच्छी खेती को लेकर किसानों के खेत पर जाकर जानकारी दी जा रही है।