लखनऊ। आज विश्व में जिन कलाकारों की ख्याति फैली हुई है उसी महान ख्याति की कड़ी में एक नाम एक महान कलाकार हिम्मत शाह (Himmat Shah ) का भी है। रविवार को प्रातः हृदयाघात से उनका निधन जयपुर (Jaipur) में हो गया। उनके निधन की खबर से कला जगत में शोक की लहर फैल गयी है। वे 92 साल के थे। सोमवार को उनका अंतिम संस्कार जयपुर में किया गया। वे एक महान कलाकार, चित्रकार और शिल्पी (Great Artist, Painter and Craftsman) थे। एक संजीदा इंसान के साथ साथ समाज और कला पर सुलझे हुए विचार रखते थे।
गुजरात के लोथल जो हड़प्पा सभ्यता (3300-1300 ईसा पूर्व) के सबसे महत्वपूर्ण स्थलों में से एक है, में जन्मे एक बहुमुखी कलाकार हिम्मत शाह (22 जुलाई 1933 – 2 मार्च 2025) ,जिनका टेराकोटा से लंबे समय से जुड़ाव इस जगह से रहा। जिसे खास तौर पर उनकी मूर्तिकला श्रृंखला हेड्स में देखा जा सकता है। अपने जैन व्यापारी परिवार के विपरीत जाकर शाह ने कला को चुना और सर जेजे स्कूल ऑफ आर्ट से स्नातक की उपाधि प्राप्त की। उन्होंने एमएस यूनिवर्सिटी, बड़ौदा में पेंटिंग का भी अध्ययन किया। शाह ने विभिन्न रूपों और माध्यमों में प्रयोग किया है, जले हुए कागज़ के कोलाज, वास्तुशिल्प भित्ति चित्र, रेखाचित्र और मूर्तियाँ बनाते हुए, हालाँकि वह खुद को मुख्य रूप से एक मूर्तिकार के रूप में देखते रहे। उनके द्वारा स्वयं डिज़ाइन किए गए उपकरण और अभिनव तकनीकें उनके पसंदीदा माध्यम – टेराकोटा – को एक समकालीन बढ़त देती हैं। शाह अपने कामों को तराशने, आकार देने और ढालने के लिए कई औजारों, ब्रशों, उपकरणों और हाथ के औजारों का उपयोग करते हैं। उन्होंने ईंट, सीमेंट और कंक्रीट में स्मारकीय भित्ति चित्र डिज़ाइन और निष्पादित किए हैं। गुजरात में जन्म लेने के बावजूद, श्री हिम्मत शाह जी ने पहले शुरुआती समय में ललित कला अकादमी रीजनल सैंटर गढ़ी दिल्ली मे काफी लम्बे समय तक अपना कार्य किया और बाद में जयपुर को अपनी कर्मस्थली चुना। और काफी समय से जयपुर में ही अपना कार्य कर रहे थे।
एक बहुमुखी कलाकार हिम्मत शाह का मिटटी टेराकोटा और सिरेमिक से लंबे समय से लगाव इस तरह रहा उन्होंने इसे अपने जीवन का भाग बना लिया। हिम्मत शाह ने विभिन्न विभिन्न सीरीज और विभिन्न विभिन्न माध्यमों का अपने कार्य में प्रयोग किया है, जैसे गन्नी क्लॉथ,जले हुए कागज़ के कोलाज, वास्तुशिल्प भित्ति चित्र, रेखाचित्र और धातू की मुर्तियाँ भी बहुत बनाई, जबकि वह खुद को एक मूर्तिकार के रूप में देखते हैं। हिम्मत शाह अपने कार्य को आकार देने और बनाने के लिए कई तरह के लकड़ी, लोहा, स्टील, पीतल के औजारों, टूथ ब्रश, तार ब लोहे और प्लास्टिक की तारो बले ब्रशों ब कई तरह के उपकरणों और हाथों का जायदा तरह अपने कार्य में उपयोग करते थे। उन्होंने ईंट, सीमेंट और कंक्रीट में स्मारकीय भित्ति चित्र डिज़ाइन और निष्पादित किए हैं। ग्रुप 1890 के संस्थापक सदस्य हिम्मत शाह को 1966 में फ्रांस सरकार से छात्रवृत्ति, 1956 और 1962 में ललित कला अकादमी का राष्ट्रीय पुरस्कार, 1988 में साहित्य कला परिषद पुरस्कार और 2003 में मध्य प्रदेश सरकार से कालिदास सम्मान प्राप्त हुआ। 2 मार्च 2025 रविवार को हार्ट अटैक से निधन हो गया।
हिम्मत शाह अब हमारे बीच नहीं लेकिन उनको आज पूरा कला जगत याद कर रहा है उन्हे अपनी भावभीनी श्रद्धांजलि अपने भावों में लोग दे रहे हैं। इसी कड़ी में आज उत्तर प्रदेश के लखनऊ , गाजियाबाद ,बनारस के कलाकारों ने भी उन्हें श्रद्धांजलि दी। लखनऊ के वरिष्ठ कलाकार जय कृष्ण अग्रवाल ने कहा कि हिम्मत शाह आज हमारे बीच नहीं हैं किन्तु अपनी कलाकृतियों की धरोहर जो छोड़ गये हैं वह उनकी स्मृतियों को अनंतकाल तक सँजोए रहेंगे। भपेंद्र अस्थाना ने कहा कि मुलाक़ात के दौरान हिम्मत शाह ने लखनऊ घूमने की थी इच्छा, जो अधूरी रह गयी। कलाकार, क्यूरेटर भूपेंद्र कुमार अस्थाना ने हिम्मत शाह को याद करते हुए बताया कि मेरी पहली और आख़िरी मुलाकात जुलाई 2019 में पटना के बिहार संग्रहालय उद्धघाटन समारोह के दरम्यान हुई थी। उन्होने लखनऊ घूमने की अपनी इच्छा जाहीर की थी। मै उनको बुलाने का अभी प्लान कर ही रहा था अचानक कि उनके निधन की खबर आ गयी।
इसी तरह मूर्तिकार व समीक्षक राजेश कुमार ने कहा किहिम्मत शाह जी का चले जाने की खबर ह्रदयाघात से कम नहीं है। लखनऊ के वरिष्ठ कलाकार, कला इतिहासकार अखिलेश निगम ने कहा कि हिम्मत शाह जी का जाना समकालीन भारतीय कला जगत की एक अपूर्णीय क्षति है। एक मूर्तिकार और चित्रकार के रूप में उन्होंने अपनी एक अलग पहचान बना ली थी। गाजियाबाद से वरिष्ठ लेखक एवं कला समीक्षक सुमन सिंह ने कहा कि भारतीय मूर्तिकला में रामकिंकर, शंखो चौधरी और बलबीर सिंह कट की परंपरा के अग्रणी मूर्तिकार हिम्मत शाह का निधन कला जगत के लिए अपूरणीय क्षति है। हिम्मत भाई ने समकालीन भारतीय मूर्तिकला को अपने प्रयोगों से न केवल समृद्ध किया, लीक से हटकर प्रयोग करने वाले युवाओं के लिए प्रेरणा श्रोत भी बने रहे।
लखनऊ के वरिष्ठ मूर्तिकार पाण्डेय राजीवनयन ने कहा कि हिम्मत शाह देश के अग्रणी मूर्तिकारों में एक थे। उनकी कृतियां की आकारिक संरचना पर विशेष अवधारणा के अनुसार ही कार्य करते थे। वरिष्ठ लेखक एवं कला समीक्षक शहंशाह हुसैन ने कहा कि हिम्मत शाह के निधन से भारतीय समकालीन कला जगत में एक शून्य पैदा हो गया है। उनकी मूर्तिकला की अद्वितीय शैली ने भारतीय कला को एक नई दिशा दी।