लखनऊ। ऐतिहासिक गुरूद्वारा श्री गुरू सिंह सभा नाका हिंडोला लखनऊ में आज 05 फरवरी (रविवार) को भक्त शिरोमणि सद्गुरू रविदास जी का जन्मोत्सव बड़ी श्रद्धा एवं सत्कार के साथ मनाया गया।
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सायं का विशेष दीवान 6.15 बजे आरम्भ हुआ जो 9.30 बजे तक चला। जिसमें श्री रहिरास साहिब के पाठ के उपरान्त रागी जत्था भाई राजिन्दर सिंह जी ने अपनी मधुरवाणी में बेगमपुरा सहर को नाउ दूखु अंदोहु तिही ठाउ। माटी को पुतरा कैसे नचतु है,देखौ देखै दउरियो फिरत है। शबद कीर्तन गायन एवं नाम सिमरन द्वारा समूह साध संगत को निहाल किया। ज्ञानी सुखदेव सिंह जी ने शिरोमणि भक्त रविदास जी के जीवन पर प्रकाश डालते हुए बताया कि आपका जन्म आज ही के दिन बनारस में हुआ था। बनारस में ही आप का सारा जीवन व्यतीत हुआ। रविदास जी तथाकथित निम्न जाति के थे।
नीची जाति होने के बावजूद भी आप में ज्ञान की परम अवस्था का प्राप्त होना आपकी शख्सियत को विशेष बनाता है। उनकी नजर में उच्च जाति के लोग और नीच जाति के लोग सब एक समान थे। वह अपना पुश्तैनी कर्म बड़े सम्मान के साथ करते थे। जूते बनाना उन्हें कतई बुरा नही लगता था। अपनी जाति को छुपाने का उन्होेंने कभी प्रयत्न नही किया।
रविदास जी ने परमपिता परमात्मा के कई बार दर्शन किये। इस बारे में रविदास जी ने अपनी बाणी में लिखा है कि जहाँ प्रभु रहता है वह नगरी गम से रहित है। किसी तरह का दुख व परेशानी वहाँ नही होती। प्रभु के घर में कोई किसी से नही डरता और न ही कोई किसी को डराता है।
इसी प्रकार हर मनुष्य को ऊँच-नीच, जातिवाद, भेदभाव से हटकर भक्त रविदास जी के दिये उपदेशों पर चलकर अपना जीवन सफल बनाने का प्रयत्न करना चाहिये। भक्त रविदास जी के 40 शबद श्री गुरु ग्रन्थ साहिब में भी दर्ज हैं। जिनके द्वारा मनुष्य के बचपन से लेकर जीवन के अन्तिम समय तक प्रकाश डाला गया है। जब समूह जगत गुरु ग्रन्थ साहिब को माथा टेकता है तो वह भक्त रविदास जी के समक्ष भी नतमस्तक होता है।
कार्यक्रम का संचालन स. सतपाल सिंह ‘‘मीत’’ ने किया। दीवान की समाप्ति के पश्चात् लखनऊ गुरुद्वारा प्रबन्धक कमेटी के अध्यक्ष स. राजेन्द्र सिंह बग्गा ने समस्त साध संगत को शिरोमणि भक्त रविदास जी के जन्म दिवस की बधाई दी। तत्पश्चात पुलाव का लंगर श्रधालुओं में वितरित किया गया।
रिपोर्ट-दया शंकर चौधरी