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अनुच्छेद 51 की विश्वशांति कामना

डॉ. दिलीप अग्निहोत्री

भारतीय संविधान का अनुच्छेद 51 अद्भुत और अभूतपूर्व है। विश्व के किसी अन्य संविधान में इस प्रकार का प्रावधान नहीं है। वस्तुतः यह प्राचीन भारत के चिंतन दर्शन की ही अभिव्यक्ति है। हमारे ऋषियों ने ही वसुधैव कुटुम्बकम का उद्घोष किया था। इसी के साथ उन्होंने सभी के सुखी होने की कामना की थी। यह तभी संभव होगा जब विश्व में शांति होगी।

भारतीय संविधान निर्माताओं ने भी विश्व शांति को महत्व दिया। भारतीय संविधान में अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा की अभिवृद्धि को दृष्टिगत रखते हुए लिखा गया है कि अनुच्छेद 51 में कहा गया कि भारत अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा की अभिवृद्धि का, राष्ट्रों के बीच न्यायसंगत और सम्मानपूर्ण संबंधों को बनाए रखने का, संगठित लोगों के एक-दूसरे से व्यवहारों में अंतरराष्ट्रीय विधि और संधि-बाध्यताओं के प्रति आदर बढ़ाने का और अंतरराष्ट्रीय विवादों के निपटारे के लिए प्रोत्साहन देने का प्रयास करेगा।

सीएमएस द्वारा प्रतिवर्ष लखनऊ में विश्व के मुख्य न्यायधीशों का अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किया जाता है। इसके समापन पर लखनऊ घोषणापत्र जारी करने की परंपरा रही है। सम्मेलन की संकल्पना डॉ जगदीश गांधी ने की थी। उन्हीं के मार्ग दर्शन में इसका आयोजन होता है। लखनऊ घोषणापत्र के में सभी देशों से कई मुद्दों पर अपील को शामिल किया जाता है। इसमें संयुक्त राष्ट्र संघ चार्टर का पुनरावलोकन व उचित संशोधन, लोकतांत्रिक आधार पर विश्व संसद का गठन, अंतरराष्ट्रीय कानून की स्थापना,ग्लोबल वार्मिंग पर रोक के संयुक्त प्रयास, सभी स्कूलों में शांति शिक्षा,घातक अस्त्र-शस्त्र को समाप्त करना,आतंकवाद, उग्रवाद तथा युद्ध समाप्त करने के प्रयास, मानवाधिकार, मूलाधिकार के आधार पर व्यक्ति का सम्मान, राष्ट्रीय सरकार की प्रेरणा,अंतर सांस्कृतिक समझ बढ़ाने के प्रयास आदि विषय शामिल रहते है। ये प्रस्ताव सभी देशों के शासकों,मुख्य न्यायाधीशों और संयुक्त राष्ट्र संघ के महासचिव को भेजे जाते है।

लखनऊ का सीएमएस ऐसा पहला संस्थान है जो भारतीय संविधान के अनुच्छेद 51 पर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित करता है। इसके माध्यम से विश्व शांति का आह्वान किया जाता है। इसमें कई देशों के राष्ट्रपति,प्रधानमंत्री, पार्लियामेन्ट के स्पीकर, न्यायमंत्री,इण्टरनेशनल कोर्ट के न्यायाधीश इस सम्मेलन में शामिल होते है। पिछले दो दशकों से यह अन्तरराष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किया जा रहा है। भारतीय संस्कृति आदिकाल से पूरे विश्व को एक साथ लेकर चलने की रही है। एक दूसरे के साथ मिलकर चलने की भावना के साथ यहां लोग एकत्र होते हैं। यह सम्मेलन विश्व से हथियार इकट्ठा करने की दौड़ खत्म करने तथा भाईचारा बढ़ाने में सहयोगी बन रहा है। सब लोग मिलकर विश्व में एकता, शांति तथा सद्भाव बनाने में सफल होंगे।

यहां भाई बहन की तरह मानवता की पुकार को सुना जा सकता है। ऐसे प्रयासों से युवा पीढ़ी अपने युग की समस्याओं से उदासीन नहीं रहेगी। स्वस्थ वातावरण,स्वच्छ जल इत्यादि की दिशा में कार्य करने की यहां प्रेरणा मिलती है। भारतीय संविधान विश्वशांति के अनुपालन के लिए एक उदाहरण प्रस्तुत करता है। विश्व शांति व एकता के लिए साझा प्रयास आवश्यक है। इस सम्मेलन में प्रजातान्त्रिक विश्व सरकार के गठन पर विचार विमर्श होता है। विश्व सरकार विश्व संसद और अन्तरराष्ट्रीय कानून व्यवस्था की स्थापना अपरिहार्य है। ढाई अरब बच्चों की ओर से इन मुख्य न्यायाधीशों से विश्व व्यवस्था बनाने में सहयोग की अपील होती है। विश्व में बमों का जखीरा नहीं, सर्वत्र शांति का माहौल होना चाहिए।

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