अंतरराष्ट्रीय संगठन फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) ने पाकिस्तान से आतंकवाद के वित्तपोषण पर रोक लगाने के लिए कठोर कानूनों को लागू करने और इसमें शामिल लोगों के खिलाफ सख्त दंडात्मक कार्रवाई करने को कहा है। एफएटीएफ ने आतंकवाद के वित्तपोषण पर पाकिस्तान की स्थिति की समीक्षा के लिए पेरिस में जारी पांच-दिवसीय पूर्ण सत्र के दौरान यह निर्देश दिया है।
रिपोर्टों की मानें तो पाकिस्तान आगे भी ग्रे लिस्ट में बना रह सकता है। पाकिस्तान के लिए यह बड़ा झटका है क्योंकि अगर एफएटीएफ पाकिस्तानी सबूतों से संतुष्ट नहीं हुआ तो उसे आखिर में ब्लैकलिस्ट किया जा सकता है। बताया जा रहा है कि पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट से बाहर निकालने में तुर्की और मलयेशिया ने कोई कसर नहीं छोड़ी पर नाकाम रहे।
अंतरराष्ट्रीय संगठन ने आतंकवाद के वित्तपोषण पर रोक लगाने में विफल रहने के कारण पाकिस्तान को ‘ग्रे लिस्ट’ में रखा है जिसके कारण इस देश को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ), विश्व बैंक, एशियाई विकास बैंक और यूरोपीय संघ से वित्तीय सहायता मिलने में कठिनाई हो रही है।
एफएटीएफ ने पाकिस्तान को लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद और हिजबुल मुजाहिदीन जैसे आतंकवादी समूहों के वित्तपोषण पर रोक लगाने के लिए 27-सूत्री योजना का पालन करने के लिए कहा है अन्यथा ईरान और उत्तर कोरिया के साथ ‘ब्लैक लिस्ट’ में शामिल होने के लिए तैयार रहने की चेतावनी दी है। संगठन ने मंगलवार की बैठक में पाकिस्तान को अपनी अभियोजन प्रणाली को मजबूत करने और आतंकवाद के वित्तपोषण मामले में दोषी पाये जाने वाले लोगों को सख्त सजा देने का निर्देश दिया है। एक्सप्रेस ट्रिब्यून की रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तान ने दावा किया है कि वह वर्तमान में अपनी अभियोजन प्रणाली को मजबूत करने के लिए अपने कानूनों में संशोधन कर रहा है।