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वतन

पं. धीरेंद्र त्रिपाठी

वतन

सारे जहां से अच्छा हिंदुस्ता हमारा
हम सब इसके पुजारी, यह है खुदा हमारा।

और कुछ ना चाहूं, बस यही है मेरी नेमत
यह प्यारा हिन्द अपना, हर वक्त रहे सलामत।

गर फिर मिले जिंदगानी आऊँ यही दोबारा
सारे जहां से अच्छा हिंदुस्ता हमारा

इस गुलिस्ता के फूल हैं, हम सभी हिंदुस्तानी
मां के हम बच्चे, अपनी यही निशानी।

अपनी जुबां पर रहता जय हिंद का ही नारा
सारे जहां से अच्छा हिंदुस्ता हमारा।

“इकबाल “कह गए हैं कहते ही “धीरेंद्र”
काशी हो या काबा, सब तीर्थ हैं यहीं पर।

राम की सरजमी पर मजहब पलता सारा
सारे जहां से अच्छा हिंदुस्ता हमारा।

धीरेंद्र त्रिपाठी

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