ऐ मेरे बच्चे
आज सोचती हूँ तुमको दिल से
महसूस करूँ…
जी भरकर पूरा अरमान करूँ…
आँगन में उछल कूद करते हो
सिर्फ अम्मा अम्मा बोलते हो
तुम्हारी मखमल सी श्वेत काया,
माथे पर तिलक काला
गले में घुंघरू घंटी और माला
ऐ मेरे बच्चे आज सोचती हूं
हमारे संबंधों का संधान करूँ…
तेरे पांव में घुँघरू बाँधूं …
सूरज की किरनों सी चपल
गति लेकर
आ बैठते हो गोद में
प्रेम पाती लेकर
अठखेलियाँ करते हो यहां वहां
मैं जहां जाती हूं आ जाते हो वहां
ऐ मेरे बच्चे आज सोचती हूँ तुम्हारी शब्दों से जुबान भरूँ…
तुम नित्य हो, शुद्ध हो, साक्ष्य हो
वसुंधरा की खुशहाली के
आराध्य हो…
ऐ मेरे बच्चे आज सोचती हूँ
मैं भी तुमको कृष्ण बना
गुणगान करूँ…
हे ! गऊ माता के दुलारे,
श्रीकृष्ण के प्यारे
ऐ मेरे बच्चे आज सोचती हूं तुम्हारी महिमा का बखान करूँ…
वायु, जल, अग्नि, धरा और आकाश
वेद कहते हैं ये ही हैं
जीवन के आधार,
पर मैं मानती हूँ तुमको इस सनातन पृथ्वी के प्राण,
ऐ मेरे बच्चे आज सोचती हूँ
तुम्हारा दिल से सम्मान करूँ…ज्योति वर्मा
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