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राष्ट्रीय एकता के सांस्कृतिक सूत्र


विविधता भारत की आदिकाल से चली आ रही विशेषता है। इसके बाद भी यहां सदैव एक राष्ट्र की विकसित अवधारणा रही है। इसी में एकता के सूत्र समाहित रहे है। मत पंथ उपासना पद्धित के अनेक रूप सांस्कृतिक राष्ट्रवाद का संवर्धन करने वाले थे। कालांतर में एक व्यवधान आये,लेकिन राष्ट्र राज्य का विचार अस्तित्व में बना रहा। विदेशी आक्रांताओं ने इसको मिटाने के सभी संभव प्रयास किये, लेकिन उनको पूर्ण सफलता नहीं मिली। अंग्रेजों को लगता था कि उनके जाने के बाद भारत सैकड़ों हिस्सों में विभक्त हो जाएगा। इसीलिए उन्होंने देशी रियासतों को आत्मनिर्णय का अधिकार दिया था।

द्वितीय विश्व युद्ध के समय ब्रिटिश प्रधानमंत्री रहे चर्चिल ने कहा था कि भारत के लोग ठीक से शासन नहीं संभाल सकेंगे। स्वतन्त्रता के बाद उप प्रधानमंत्री बल्लभ भाई पटेल मात्र तीन वर्ष जीवित रहे। लेकिन उन्होंने दिखा दिया कि भारत का एकीकरण भी स्वभाविक है,और यहां मजबूत लोकतंत्र भी संचालित हो सकता है। बल्लभभाई पटेल की जयंती पर लखनऊ में अनेक कार्यक्रमों के माध्यम से उनका स्मरण किया गया। राष्ट्रीय एकता की शपथ ली गई। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि स्वतंत्रता के समय ब्रिटिश सरकार भारत को अलग अलग टुकड़ों में बांटना चाहती थी। जिससे हजारों वर्षों से चले आ रहे सनातन राष्ट्र को छिन्न भिन्न हो जाये। उस कुत्सित मंशा को समय रहते सरदार पटेल ने भांप लिया। अपनी सूझ बूझ और दृढ़ इच्छा शक्ति के बल पर पांच सौ बांसाठ देशी रियासतों को एकता के सूत्र में बांधकर वर्तमान भारत गणराज्य की रूपरेखा प्रस्तुत की।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी की प्रेरणा से सरदार पटेल की जयन्ती को राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में मनाया जाता है। भारत और भारतीय संस्कृति के प्रति उनके द्वारा किए गए योगदान को सदैव याद किया जाएगा। भारत के महान मन्दिरों सोमनाथ आदि की पुनस्र्थापना के कार्य में सरदार पटेल ने महत्वपूर्ण योगदान दिया। वर्तमान में नरेंद्र मोदी ने अयोध्या में प्रभु श्री राम के भव्य मन्दिर के निर्माण कार्य का शुभारम्भ किया है। बल्लभ भाई का जन्म एक सामान्य किसान परिवार में हुआ था। भारत माता के प्रति श्रद्धा और आस्था के कारण उन्होंने अपना पूरा जीवन भारत माता की एकता और अखण्डता के लिए समर्पित किया।

राज्यपाल आनंदी पटेल ने कहा कि सरदार पटेल कर्मठता,राष्ट्रीयता और देश भक्ति के उत्तम उदाहरण हैं। खेड़ा और वारदोली सत्याग्रह के माध्यम से उन्होंने राष्ट्रीय एकता की अलख जलाने का कार्य किया। गांधी जी कहते थे कि यदि सरदार पटेल न होते, तो आजादी मिलने में दस वर्ष और लगते। भारत की एकता और अखण्डता के लिए लौह पुरुष सरदार पटेल के योगदान पर उनके प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करने के लिए प्रधानमंत्री ने गुजरात में सरदार सरोवर बांध पर सरदार पटेल की एक सौ बयासी मीटर ऊंची प्रतिमा स्थापित की है। यह दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा है। यह केवल एक प्रतिमा मात्र नहीं है, बल्कि एक बहुत बड़ा प्रोजेक्ट है। इसके माध्यम से बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार प्राप्त हुआ है। आनंदीबेन पटेल एवं योगी आदित्यनाथ ने राजभवन में वल्लभ भाई पटेल की प्रतिमा का अनावरण भी किया।

रिपोर्ट-डॉ. दिलीप अग्निहोत्री
डॉ. दिलीप अग्निहोत्री

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