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उम्र पचपन और आधार में बचपन होने के कारण अधेड़ को लगाई गई 18 वर्षीय कोरोना वैक्सीन

एटा। उम्र पचपन और दिल बचपन हो ही जाता है, इससे आदमी की जिंदगी पर कोई खास फर्क नहीं पड़ता है। लेकिन यहां तो अजब गजब मामला सामने आया। मामला जनपद एटा के अलीगंज सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र अलीगंज का है। जहां बड़े जोर -शोर के साथ कोरोना वायरस का टीकाकरण चल रहा है। और वेक्सीनेशन कार्यक्रम को हर सम्भव सफल बनायें जाने की जुगत की जा रही है।

शुक्रवार को स्वस्थ्य केंद्र एक अजीबो-गरीब मामला सामने आया। जहां एक अधेड़ उम्र का व्यक्तिअशोक कुमार अलीगंज के भैंसाखर गांव से बैक्सीन लगवाने स्वास्थ्य केंद्र पहुंचा। मन में बैक्सीन को लेकर अजब सी हलचल चल रही थी। हर दिन की तरह केंद्र पर बैक्सीनेशन का कार्य चल रहा था। अधेड़ के पहुंचने से पहले आगे बालों की बैक्सीनेशन की कार्यवाही चल रही थी।बैक्सीनेशन सेंटर पर भी दो बार्ड बनाये गए हैं। जिसमे एक बार्ड में 45 बर्ष से ऊपर और दूसरे बार्ड में 18 बर्ष से ऊपर कोरोना टीका का टीकाकरण चल रहा था। अशोक ने ऑनलाइन प्रकिया से बैक्सीनेशन का समय लेकर बैक्सीन लगवाने पहुंचा था। उम्र 45 बर्ष से अधिक होने के कारण वह सम्बंधित बार्ड पहुंचा।

टीकाकरण की कार्यवाही को अशोक पूरी तरह से फॉलो कर रहा था। जैसे ही चिकित्सक ने देखा कि बैक्सीन लगवाने बाला अधेड़ है और आधार में उम्र 18 बर्ष है उन्होंने उसे बैक्सीन लगाने से मना कर दिया। लेकिन अशोक बैक्सीन लगबाने पर अड़ गया।क्यों कि ऑनलाइन फीडिंग में आधार द्वारा उसको उम्र 18 बर्ष की ही बैक्सीन दी जा सकती थी।मौके की नजाकत समझ बैक्सीनेशन टीम ने अधेड़ को 18 बर्ष से ऊपर का टीका दे दिया।

बताया जा रहा है कि अधेड़ अशोक की उम्र लगभग 55 बर्ष है और दिमागी हालत भी कुछ ज्यादा ठीक नहीं है।ऐसे में सबसे बड़ा चैलेंज बैक्सीनेशन टीम के सामने ये आया कि उम्र उसकी लगभग 55 बर्ष रही होगी लेकिन ऑनलाइन साफ्टवेयर के चलते उसे टीका 18 बर्षीय देना पड़ा। ऐसे गंम्भीर मुद्दे पर दोष दिया जाए तो किसे बैक्सीन लगवाने बाले को या फिर टीकाकरण कर रही टीम को या फिर टीकाकरण का डाटा ऑनलाइन रखने बाले सिस्टम को।

अब सोचने की बात ये है कि बैक्सीन मनुष्य की कदकांडी और चेहरा मोहरा देखकर लगाई जा रही है या उसके उम्र के सत्यापित डॉक्यूमेंट देखकर ।हालांकि आधार कार्ड की बात की जाए तो ये एक टेक्नीकल मिस्टेक या आधार बनाने बाले की मिस्टेक हो सकती है।परंतु रही बात बैक्सीन लगाने बाली टीम की क्या सामने आई ऐसी परिस्थिति में टीम के लोगों को अपने बरिष्ठ अधिकारियों से सलाह लेकर अशोक को बैक्सीन देना चाहिए था। अशोक के शरीर मे 18 वर्ष का टीका कितना कारगर होगा भी या नहीं या फिर मामला सामने आने के बाद कोरोना चिकित्सा विभाग कार्यवाही या सुधार करेगा ये तमाम सवाल उठ रहे है।

फिलहाल बैक्सीन लगवाने के बाद अशोक पूरी तरह स्वस्थ है और अपने आप को सही बता रहा है। इस मामले में सीएचसी के मेडिकल ऑफिसर डॉ. अनुज कुमार का कहना है,कि 18 प्लस या 45 प्लस दोनों की वेक्सिनेशन सेम है, ना कोई डोज में अंतर है,आधार कार्ड पर उम्र कम होने के कारण 45 प्लस वाले उनके वैक्सीन न लग कर 18 प्लस वाले पर वेक्सीन लगवाई गयी है, क्योंकि ऑनलाइन वेरिफिकेशन नही होता।

रिपोर्ट-अनन्त मिश्र

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