सुल्तानपुर। फाइलेरिया उन्मूलन को लेकर 12 से 27 मई तक जिले में मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन कार्यक्रम (एमडीए राउंड) चलाया जायेगा। इसके तहत घर-घर जा कर फाइलेरिया से बचाव की दवा खिलायी जाएगी। मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. धर्मेन्द्र कुमार त्रिपाठी ने बताया कि फाइलेरिया उन्मूलन अभियान के तहत फाइलेरिया या हाथी पाँव जैसे गंभीर रोग के उन्मूलन के लिए हर वर्ष सामूहिक दवा सेवन (एम.डी.ए.) कार्यक्रम चलाया जाता है । 12 से 27 मई तक जिले में एम.डी.ए. कार्यक्रम आयोजित किया जायेगा।
इस दौरान प्रशिक्षित स्वास्थ्यकर्मी घर-घर जाकर लोगों को फाइलेरिया रोग के बारे में जागरूक करने के साथ ही अपने सामने दवा खिलाएंगे। अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी और वेक्टर बॉर्न डिज़ीज के नोडल अधिकारी डॉ. लक्ष्मण सिंह ने बताया कि फाइलेरिया रोग में अक्सर हाथ,पैर या शरीर के लटके हुए अंगो में सूजन आ जाती है। यह सूजन इतनी अधिक हो जाती है कि व्यक्ति दिव्यांगता की श्रेणी में आ जाता है। इससे प्रभावित अंग अधिक सूजन के कारण हाथी पाँव की तरह दिखने लगता है, इसलिए इसे हाथी पांव भी कहते हैं।
कार्यक्रम में दो वर्ष से छोटे बच्चों, गर्भवती और गंभीर रोग से ग्रसित व्यक्तियों को छोड़ कर सभी को दवा का सेवन अनिवार्य रूप से करना है। इससे हाथी पांव या फाइलेरिया जैसी गंभीर बीमारी से बचाव हो सकेगा।
“जब ड्रग एडमिनिस्ट्रेटर/ स्वास्थ्यकर्मी आपके घर आयें तो उनके द्वारा दी गई दवा अवश्य खाएं, यह दवा आपको फाइलेरिया/ हाथी पाँव रोग से सुरक्षित रखेगी, दवा को स्वास्थ्यकर्मी के सामने ही खाएं, किसी भी स्थिति में दवा का वितरण नहीं किया जाएगा – मुख्य चिकित्सा अधिकारी“
फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम में स्वास्थ्य विभाग को तकनीकी सहयोग प्रदान कर रही संस्था पाथ से डॉ. जसप्रीत कौर ने बताया कि फाइलेरिया एक ऐसी बीमारी है जिसका असर शरीर पर बहुत देर से दिखता है। किसी व्यक्ति में इस बीमारी के लक्षण दिखने में संक्रमित होने के बाद पांच से दस साल भी लग सकते हैं। इसलिए चिन्हित क्षेत्र में सभी लोगो को इसकी दवा का सेवन बहुत ही आवश्यक है।
फाइलेरिया के लक्षण– आमतौर पर इसके कोई लक्षण स्पष्ट रूप से दिखाई नहीं देते हैं । बुखार, बदन में खुजली तथा पुरुषों के जननांग और उसके आस-पास दर्द और सूजन की समस्या, पैर-हाथ में सूजन, हाथी पाँव और हाइड्रोसील इसके प्रभाव हैं जो संक्रमित होने के काई सालों बाद दिख सकते हैं। फाइलेरिया से बचाव किया जा सकता है, पर एक बार इसका प्रभाव बढ़ जाये तो इसका उपचार असंभव है।
रिपोर्ट-शिव प्रताप सिंह सेंगर