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रातभर

आशुतोष

रातभर

ये दिल क्यूँ मचलती रही रातभर
नींद भी गायब रही रातभर।।

वो तस्वीर जो पहली मुलाकात की
बार बार सामने आती रही रातभर।।

वो मुस्कुराहट कितनी हसीन थी
बार बार याद आती रही रातभर।।

वो शिकायत भरी जो बाते थी तेरी
बार बार रूलाती रही रातभर।।

हँसना चिढाना और प्यार करना तेरा
मुझको दिवाना बनाती रही रातभर।।

वो तेरी सादगी और अल्हड़पन तेरा
बार बार चिंतन बढ़ाती रही रातभर।।

आशुतोष,पटना बिहार

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