गोरखपुर। महानगर से सटकर बह रही राप्ती नदी के राजघाट को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जा रहा है। राजघाट पर निर्माण और सुंदरीकरण का कार्य साथ-साथ चल रहा है। यहां खास मौके पर राप्ती आरती होती है लेकिन चर्चा है कि गंगा आरती की तरह यहां भी हर शाम आरती का इंतजाम किए जाने की तैयारी चल रही है।
राजघाट के सुंदरीकरण के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने व्यक्तिगत रूप से दिलचस्पी दिखाई। उसका परिणाम अब दिखने लगा है। निर्माणाधीन दोनों तटों को देखकर अभी से इसकी भव्यता का अंदाजा लगाया जा सकता है। पहले दोनों तटों पर सौ-सौ मीटर स्नान घाट बनाने की योजना थी। नदी के बाएं तट राजघाट व दाहिने तट रामघाट पर कार्य जब आधे से अधिक पूरा हो गया तब राजघाट को 50 मीटर विस्तारित करने का निर्णय लिया गया। 100 मीटर स्नान घाट का कार्य अब अंतिम चरण में है। 6-6 मीटर चौड़े 8 प्लेटफार्म बनाए गए हैं ताकि नदी का जल स्तर घटने-बढ़ने के दौरान लोगों को असुविधा न हो।
राजस्थानी नक्काशी वाले पत्थरों से घाट तैयार हो रहा है। सिंचाई विभाग के मुताबिक पहले चरण में शुरू हुए 100 मीटर स्नान व आरती घाट का करीब 90 फीसदी काम पूरा हो चुका है। सुंदरीकरण और फिनिशिंग का काम शेष रह गया है। दो बड़े पार्किंग जोन भी बनाए जा रहे हैं। इंटरलॉकिंग का काम हो रहा है। मार्च तक यह बनकर तैयार हो जाएगा। दूसरे चरण में शुरू हुए 50 मीटर घाट को भी इसी के साथ तैयार करने की कोशिश की जा रही है।
डायवर्ट किया जाएगा नाला
वाराणसी के गंगा घाट की तरह ही यहां आरती होगी इसलिए साफ-सफाई को लेकर हर पहलू से देखा जा रहा है। स्नान घाट से पहले नाला है, जिसका गंदा पानी राप्ती नदी में गिरता है। उस नाले को डाइवर्ट किया जाएगा। स्नान घाट पर स्वच्छ पानी पहुंचे। नाले को बाहर से घुमाकर राजघाट पुल के पास ले जाकर गिराया जाएगा।
शवदाह के लिए भी बन रहे हैं प्लेटफार्म
राप्ती नदी के तट पर शवदाह के लिए आठ प्लेटफार्म बनाए जा रहे हैं। सभी प्लेटफार्म 30.5 मीटर लम्बे और 8.6 मीटर चौड़े होंगे। बरसात के सीजन में ऊपरी प्लेटफार्म पर शवदाह की व्यवस्था होगी जबकि अन्य मौसम में नदी के किनारे पर शवदाह किया जा सकता है।
रिपोर्ट-रंजीत जायसवाल