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कलियुग में सत्संग से ही परमात्मा का मिलन सम्भव है: स्वामी आत्मानंद जी महराज

लालगंज/रायबरेली। नासिक महाराष्ट्र से पधारे श्रीश्री 1008 महामंडलेस्वर आत्मानन्द जी महराज के मुखारबिन्दु से किये गये सत्संग को सुनकर श्रद्धालु मंत्र मुग्ध हो गये। यह सत्संग बीएमपीएस विद्यालय लालगंज मे उमाशंकर बाजपेयी की अगुवाई मे आयोजित किया गया। स्वामी आत्मानंद जी महराज ने भक्तो को ज्ञान व वैराग्य के मार्ग को बताते हुये कहा कि कलयुग मे ईस्वर ही सर्वात्मा है,सर्वाधार है,निराकार भी है,साकार भी है। विष्णु के रूप मे पालनकर्ता है,शंकर के रूप मे संहारकर्ता है।

स्वामी जी ने कहा कि परमात्मा की कृपा से ही मानव तन मिला है।प्रभु की कृपा से ही लोगों को सत्संग सुनने का अवसर प्राप्त होता है।सत्संग ही परमात्मा के मिलन का एक मात्र साधन है।सत्संग कथा सुनना भगवान की भक्ति है। सत्संग सुनने से धीरे धीरे आत्मा व परमात्मा से जुडने के लिये मन भाव विभोर हो जाता है।संत सत्संग से ही परम पिता परमात्मा के प्रति आकर्षण उत्पन्न होता है। सत्संग से मन का लोभ,क्रोध व बुराइयां समाप्त होकर मन अच्छे कार्याें की ओर आकर्षित होता है।

स्वामी जी ने कहा कि 84 लाख योनियो मे मानव तन सबसे सर्वश्रेष्ठ है।मानव तन की मंजिल परमात्मा से प्रेम करने के लिये है।इसके अलावा स्वामी जी ने धर्मार्थ कथायें भी श्रोतागणों को सुनायी और माया मोह से बचकर रहने का आहवान किया। इस अवसर पर पं. झिलमिल जी महराज, सुशील शुक्ला, बच्चा पाण्डेय, अनूप पाण्डेय, कैलाश बाजपेयी, आशीष बाजपेयी, राकेश सिंह, कपूर चन्द्र गुप्ता, रमांशंकर बाजपेयी, लक्ष्मीशंकर गुप्ता, अन्नू बाजपेयी, अवधेश सिंह, ब्रम्हेन्द्र सिंह, देवी कुमार गुप्त, मन्नू बाजपेयी, कृपाशंकर गुप्ता, चन्द्रशेखर सिंह, वीरेन्द्र मिश्रा, रोहिणी तिवारी आदि लोग मौजूद रहे।

रिपोर्ट-दुर्गेश मिश्रा

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