लखनऊ। अंतर्राष्ट्रीय उर्दू सम्मलेन के साथ राम नाईक (Ram Naik) का नाम दिलचस्प रूप में जुड़ा है। राज्यपाल के रूप में उन्होंने इसके पहले और दूसरे सम्मेलन का उद्घाटन किया था। राज्यपाल पद से अवकाश ग्रहण करने के बाद वह अपने गृह जनपद मुंबई चले गए थे। तीसरे अंतर्राष्ट्रीय उर्दू सम्मेलन का उद्घाटन केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद ने किया था।
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चौथे सम्मेलन से पहले आयोजकों ने एक बार फिर राम नाईक से आग्रह किया। उन्होने अपनी सहमति प्रदान की। राम नाईक लखनऊ पहुँचे, उन्होने लखनऊ विश्वविद्यालय के मालवीय हाल में चौथा अन्तर्राष्ट्रीय उर्दू सम्मेलन का उद्घाटन किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि लखनऊ से कुछ दूरी पर नैमिष है, जहॉं से महाऋषि व्यास ने वसुधैव कुटुम्बकम का संदेश दिया था।
हम लोग आज़ादी का अमृत महोत्सव भी मना रहे हैं। भारत प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व एवं दिषा निर्देशन में जी-20 की अध्यक्ष कर प्रगतिषील देशों की प्रथम पंक्ति में नज़र आ रहा है। चौथे सम्मेलन में अमेरिका, कनाडा, नामिबिया, वियतनाम, अफग़ानिस्तान म्यांमार आदि मुल्कों के लोग भी मौजूद थे।
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पूर्व मंत्री डॉ अम्मार रिज़वी ने कहा कि उर्दू भारत की ज़बान है। अमीर खुसरो ने इसे हिन्दवी नाम दिया था। उर्दू ज़बान को गलत तरीके से पडोसी मुल्क ने अपने यहां इस्तेमाल करना चाहा जिसके कारण पड़ोसी मुल्क दो हिस्सो में बट गया।
रिपोर्ट-डॉ दिलीप अग्निहोत्री