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आत्मनिर्भरता का स्वदेशी भाव

भारत की मूल प्रवत्ति में लोकतंत्र का भाव सदैव रहा है। प्राचीन काल में भी राजा को नियमों के अनुरूप ही शासन संचालन करना होता था। उसको सुझाव देने के लिए सभा व समिति होती थी। इसके सदस्यों को राजा के समक्ष विरोध दर्ज करने का अधिकार था। इनसे यह अपेक्षा भी होती थी वह निष्पक्ष सलाह दें। आज भी भारत विश्व का सबसे विशाल लोकतांत्रिक देश है। प्राचीन भारत आत्मनिर्भर था। आज पुनः स्वदेशी का महत्व बढ़ गया है। राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र ने इस संदर्भ में विश्वविद्यालयों के समक्ष ऑनलाइन व्याख्यान दिया। कहा कि वाइब्रेंट डेमोक्रेसी अर्थात जीवंत लोकतंत्र भारत की मुख्य ताकत है। चीन भारत का मुकाबला नहीं कर सकता। जो उद्यमी और निर्माता लोकतंत्र मानवाधिकार व बाल शोषण के उन्मूलन को महत्व देते हैं, वह साम्यवादी चीन के स्थान पर भारत के साथ डील करना चाहेंगे। कोरोना के बाद की दुनिया में एक बार फिर भारत को नई शुरुआत करनी होगी, जिसके लिए कई छोटे और मध्यम उद्यमियों को सरकारी प्रोत्साहन की आवश्यकता है।

इस व्याख्यान का आयोजन उत्तर प्रदेश के बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय ने अपने फेसबुक पेज पर किया। राज्यपाल ने कहा कि आत्मनिर्भर भारत अभियान वर्तमान में कोविड।के बाद की एक मूल अवधारणा है। यह एक महत्वकांक्षी राष्ट्रीय परियोजना है,जिसका उद्देश्य सिर्फ कोरोना महामारी के दुष्प्रभावों से ही लड़ना नहीं है,बल्कि भविष्य के भारत का पुनर्निर्माण करना भी है। भारत को एक नई प्राणशक्ति और नई संकल्पशक्ति के साथ आगे बढ़ते हुए विश्व की महाशक्ति बनना है। भारत में स्वदेशी एक विचार के रूप में देखा जाता है,जो भारत की संरक्षणवादी अर्थव्यवस्था का आर्थिक मॉडल रहा है। आत्मनिर्भर भारत बनाने में स्वदेशी का विचार अत्यधिक उपयोगी है।

खादी ग्राम उद्योग के उत्पादों की बढती मांग इसका उदाहरण है। भारत की आत्म निर्भरता का मतलब दुनिया से कनेक्शन तोड़ लेना नहीं है। अमरीका के स्टॉक मार्केट की हर एक हलचल चीन और भारत के बाजारों पर सीधा असर डालती है, उस वक्त स्थानीय उत्पादों का उत्पादन करने और उन्हें प्रतिस्पर्धा में खड़ा करने के लिए स्थानीय उद्यमियों और निर्माताओं को कुछ सुरक्षा राशि भी देने की आवश्यकता है। भारत के लिए आत्मनिर्भरता ना तो बहिष्करण है और ना ही अलगाववादी रवैया। इसके अलावा दुनिया के साथ प्रतिस्पर्धा करते हुए दुनिया की मदद की जाये। कोरोना महामारी के बाद आर्थिक राष्ट्रवाद का रूप पूरी दुनिया में आ सकता है। आत्मनिर्भरता और स्वदेशी मॉडल ही भारत को आगे ले जा सकता है। लोकल चीजों को लेकर वोकल होना चाहिए।

भारतीयों को स्थानीय चीजों के बारे में ज्यादा बात करनी चाहिए। आत्मनिर्भरता वैसे भी हर देश का एक वांछित सपना है। भारत का मेक इन इंडिया प्रोजेक्ट,भारत को मैन्युफैक्चरिंग का हब बनाने में भूमिका निभा सकता है। चीन के साथ प्रतिस्पर्धा करने के लिए या भारत में निवेश करने के लिए, चीन स्थित विदेशी कंपनियों को आकर्षित करने के लिए, भारत को विश्व स्तर के बुनियादी ढांचे का निर्माण करना होगा। भूमि,पानी और बिजली में सुधार की जरूरत है। प्रणाली में अत्याधुनिक तकनीक को अपनाना और समाज में डिजिटल तकनीक का उपयोग बढ़ाना जरूरी है।

रिपोर्ट-डॉ. दिलीप अग्निहोत्री
डॉ. दिलीप अग्निहोत्री

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