शिवभक्ति में डूबा केसरिया रंग गहराता जा रहा है। दिल्ली-देहरादून हाईवे पर कांवड़िये ही कांवड़िये नजर आने लगे हैं। शुक्रवार से दिल्ली-देहरादून हाईवे पर भारी वाहन प्रतिबंधित करने के साथ ही दांयी लेन पूरी तरह से कांवड़ियों के लिए आरक्षित कर दी गई है।
इसके अलावा नहर पटरी मार्ग भी पूरी तरह से कांवड़ियों के लिए आरक्षित किया गया है। जिले में 55 किलोमीटर लंबे इस मार्ग को पूरी तरह से लाइटों से पाट दिया गया।
मुजफ्फरनगर में पुलिस एवं प्रशासन ने यातायात प्रबंधन के साथ ही कांवड़ियों की सुविधाओं के लिए तमाम बंदोबस्त किए हैं। चिकित्सा सुविधा एवं पथप्रकाश के साथ कंट्रोल रूम बनाया गया है। कांवड़ यात्रा के मद्देनजर जिला एवं पुलिस प्रशासन का सबसे ज्यादा जोर यातायात प्रबंधन पर है। शुक्रवार को दिल्ली देहरादून एनएच 58 की दांयी लेन केवल कांवड़ियों के लिए आरक्षित करने के साथ हाईवे पर भारी वाहन प्रतिबंधित कर दिए गए हैं। शहर के अंदर से रुड़की मेरठ मार्ग पर की एक साइड कांवड़ियों के लिए आरक्षित की गई है। कारण अधिकांश कांवड़िये शहर के अंदर शिवचौक से होकर गुजरते हैं।
कांवड़ यात्रा के चलते मेरठ और मुजफ्फरनगर में पॉलीटेक्निक परीक्षाएं स्थगित कर दी गई हैं। 10 से 15 जुलाई के बीच होने वाली परीक्षाएं अब 21 से 26 जुलाई को होंगी। मेरठ में 10 जुलाई से 17 जुलाई तक डिग्री कॉलेज, कोचिंग सेंटर भी बंद कर दिए गए हैं। बागपत, सहारनपुर में भी स्कूल बंद करने की घोषणा कर दी गई है।
इसके अलावा हरिद्वार से गंगा जल लेकर आने वाले कांवड़ियों के लिए बनाया गया नहर पटरी मार्ग पूरी तरह से कांवड़ियों के लिए आरक्षित किया गया है। हरिद्वार जनपद सीमा से लेकर बाया खतौली तक मेरठ सीमा तक 55 किमी लंबे इस मार्ग पर जिला पंचायत ने हर दस मीटर पर अत्याधुनिक लाइटों से पथ प्रकाश व्यवस्था की है। दिल्ली की ओर जाने वाले कांवड़िये सबसे सुलभ नहर पटरी मार्ग खतौली से होते मेरठ एवं गाजियाबाद के मुरादनगर में प्रवेश करते हैं।