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G20 का काशी सम्मेलन

वर्तमान सरकार की कार्यशैली के अनुरूप ही काशी में G20 सम्मेलन का आयोजन हुआ. इतना ही नहीं सम्मेलन में शामिल होने काशी पहुंचे विदेशी मेहमान प्रसिद्ध श्रीगंगा आरती में सहभागी हुए. उनके लिए यह नया अनुभव था. आरती देख कर वह लोग भावविभोर हुए. उनकी सभ्यता संस्कृति में प्राकृतिक संसाधनों के प्रति सम्मान अस्था का ऐसा भाव कभी नहीं रहा।

उन्होंने प्राकृतिक संसाधनों का बेहिसाब उपभोग किया. आज वही प्रकृति हिसाब कर रही है. विकसित देशों में पर्यावरण संकट खतरे के निशान को पार कर रहा है. इससे बाहर निकलने का उन्हें कोई रास्ता नहीं मिल रहा है।

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श्री गंगा आरती के माध्यम से उन्हें एक विचार मिला है. काशी
सम्मेलन में इस बात पर सहमति बनी कि विकास ऐसा हो जिसमें पर्यावरण और जलवायु की सुरक्षा बनी रहे. बहुपक्षवाद और हरित विकास: एक जीवन शैली अर्थात पर्यावरण के लिए जीवन शैली दृष्टिकोण पर विचार विमर्श किया गया।

विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि वसुधैव कुटुम्बकम की अवधारणा के प्रतीक मंदिरों का निर्माण, उनका संरक्षण-संवर्द्धन और उनको पुनर्स्थापित करने का प्रयास विदेश नीति का भी हिस्सा है। अबू धाबी में मंदिर निर्माण का सत्तर प्रतिशत काम पूरा हो चला है। अमेरिका के न्यू जर्सी में शीघ्र ही नए मंदिर की नींव पड़ेगी।

G20 का काशी सम्मेलन

सरकार विदेशों में भी हिंदू मंदिरों का कायाकल्प कर रही है। आबूधाबी में बन रहा मंदिर इस साल के अंत में पूरा हो जाएगा। बहरीन और फ्रांस में भी मंदिर निर्माण की अनुमति मिल गई है. जर्मन विकास मंत्री शुल्ज ने गंगा को क्लीन करने का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि गंगा के पवित्र होने से न केवल भारत, बल्कि पूरे विश्व को उसका लाभ मिलेगा, क्योंकि हमारी पूरी दुनिया समुद्रों से घिरी हुई है।

मंदिरों के पुनरोत्थान से हिंदू धर्म ही नहीं, बल्कि विश्व को एक साथ लाने में मदद मिली है। इससे विदेश से संपर्क और कारोबार ही नहीं बढ़ा, सांस्कृतिक आदान-प्रदान से आपसी संबंधों को भी मजबूती मिली है। प्राकृतिक संसाधनों के संवर्धन से पर्यावरण का संरक्षण हो सकता है. यह जी-20 के काशी सम्मेलन की सबसे बड़ी उपलब्धि रही. इस सम्मेलन में सतत विकास प्रमुख विषय था. इसी विभाग से सम्बन्धित सदस्य देशों के मंत्री यहां पहुँचे थे।

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जी 20 के काशी.सम्मलेन में करीब दो सौ प्रतिनिधियों ने सौ साल के विकास की दिशा-दशा पर मंथन किया. इस सम्मेलन में लिए गए फैसले को सितंबर में न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र के सस्टनेबल डेवलपमेंट गोल शिखर सम्मेलन में रखा जाएगा.
भारतीय द्रष्टि के अनुरूप विकास के साथ पर्यावरण को महत्व देना चाहिए।

यह मानवता के भविष्य से जुड़ा विषय है. यही श्री गंगा आरती का संदेश है. आज संयुक्त राष्ट्र संघ से लेकर जी20 तक में सतत विकास के कार्यक्रमों पर चर्चा हो रही है. उत्तर प्रदेश की विधानसभा सतत विकास के लक्ष्यों पर पहले से विचार विमर्श कर चुकी है. सम्मेलन उत्तर प्रदेश के काशी में था. यहां पर्यावरण संरक्षण के साथ सतत विकास के लक्ष्यों पर भी संदेश मिला।

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मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ विदेशी अतिथियों से मिलने काशी पहुँचे थे. योगी आदित्यनाथ और तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित के प्रयासों से विधानसभा का विशेष सत्र आहूत किया गया था. गांधी जी की एक सौ पचासवीं जयन्ती पर आयोजित उस अधिवेशन में संयुक्तराष्ट्र द्वारा घोषित सतत विकास के लक्ष्यों पर विचार-विमर्श किया गया था. काशी के जी 20 सम्मेलन में वह विचार भी मार्गदर्शक के रूप में उद्धृत हुए।

यूपी विधानसभा में हुए इस विचार विमर्श के माध्यम से दुनिया को यह पता चला कि संयुक्त राष्ट्र संघ ने सत्रह प्रस्तावों के मूल में गांधीवाद की ही प्रतिध्वनि थी. गांधी जी ऐसा समाज चाहते थे जिसमें गरीबी, अशिक्षा, कुपोषण, बीमारी असमानता भुखमरी न हो। अंत्योदय का मूलमंत्र भी यही है। इसी के मद्देनजर नरेंद्र मोदी सरकार ने स्वच्छ भारत, मेक इन इंडिया, स्किल इंडिया, डिजिटल इंडिया जैसी योजनाएं लागू की।नरेन्द्र मोदी ने ग्राम स्वावलम्बन के लिए जनधन खातों के माध्यम से वित्तीय समावेशन के साथ सभी व्यक्तियों को जोड़ने के लिए अभियान चलाया था।

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स्वच्छ भारत मिशन,स्वस्थ भारत के साथ नारी गरिमा की रक्षा का माध्यम भी बना है। दुनिया जब कोरोना महामारी से पस्त थी, तब प्रधानमंत्री ने देश को आत्म निर्भर भारत का मंत्र दिया। इसका अर्थ है कि जो लोकल है,उसके लिए हम वोकल बने। खादी भारत के स्वावलम्बन,स्वदेशी तथा सम्मान का आधार बनी थी। सरकार ग्रामीण क्षेत्रों में चल रहे कार्यक्रम बापू के ग्राम स्वराज की परिकल्पना को साकार कर रही है। आत्मनिर्भर गांव तथा स्वावलम्बन का आधार बन रहेे हैं। उत्तर प्रदेश सरकार एक जनपद एक उत्पाद योजना संचालित है। यह आत्मनिर्भरता के लक्ष्य को प्राप्त करने का अभियान है।

इसकी आत्मा स्वदेशी है। यह आत्मनिर्भर भारत का आधार बन रही है।इंसेफेलाइटिस,डेंगू, मलेरिया, कालाजार तथा चिकनगुनिया जैसी बीमारियां हजारो लोगों को निगल लेती थी। स्वच्छ भारत मिशन के परिणाम स्वरूप यह बीमारियां बहुत कम हुई है। स्वच्छ भारत मिशन राष्ट्रीय क्षति को बचाने का माध्यम बना है। इसी प्रकार सरकार लाल बहादुर शास्त्री के विचारों से प्रेरणा लेकर जय जवान जय किसान के नारे को चरितार्थ कर रही है।

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्चुअल माध्यम से काशी सम्मेलन में यही संदेश दिया. कहा कि G-20 के विकास का एजेंडा काशी तक भी पहुंच गया। काशी सदियों से ज्ञान, चर्चा, संस्कृति और अध्यात्म का केंद्र रहा है. इसमें भारत की विविध विरासत का सार है। यह देश के सभी हिस्सों के लोगों के लिए कनवर्जन प्वाइंट की तरह से काम करता है. काशी की गंगा आरती, सारनाथ प्रेरित करती हैं।

दुनिया की सबसे प्राचीन जिंदा शहर वाराणसी डेमोक्रेसी का जन्मदाता है। काशी ज्ञान का केंद्र है. डिजिटलीकरण की दुनिया में भारत ने एक क्रांतिकारी परिवर्तन ला दिया है। जहां प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल लोगों को सशक्त बनाने में किया जा रहा है. हम भारत में नदियों और पेड़ों का सम्‍मान और पूजा करते हैं। हमारे प्रयास व्यापक, समावेशी, निष्पक्ष और सस्टनेबल होने चाहिए।

रिपोर्ट-डॉ दिलीप अग्निहोत्री

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