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फाइलेरिया उन्मूलन के लिए एमडीए अभियान शुरू

• उच्च प्राथमिक नगला जयसिंह विद्यालय में जिलाधिकारी ने किया शुभारम्भ

• छात्र छात्राओं सहित अन्य स्वास्थ्यकर्मियों ने भी किया दवा सेवन

• जिलाधिकारी की अपील, आशा कार्यकर्ता के सामने ही करें फाइलेरिया दवा का सेवन

औरैया। भाग्यनगर ब्लॉक के उच्च प्राथमिक नगला जयसिंह विद्यालय में जिलाधिकारी नेहा प्रकाश और मुख्य विकास अधिकारी (सीडीओ) अनिल कुमार ने फाइलेरिया उन्मूलन अभियान का शुभारंभ किया। मौके पर उन्होंने जिलावासियों से 10 से 28 अगस्त तक फाइलेरिया उन्मूलन के लिए आशा कार्यकर्ता के सामने ही दवा का सेवन करने की अपील की। उन्होंने बताया कि जिला के सभी प्रखंडों में व्यापक स्तर पर फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम किया जाना है ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग इसका लाभ ले सकें।

इस दौरान मुख्य विकास अधिकारी (सीडीओ) अनिल कुमार ने कहा की हमें अपने जिले से ही नहीं इस देश से भी फाइलेरिया रोग का समूल नाश करने के लिए अभियान के दौरान स्वास्थ्य कर्मी के सामने ही दवा का सेवन करना है। मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ सुनील कुमार वर्मा ने कहा की इस सामूहिक दवा सेवन कार्यक्रम में जनपद में 14.98 लाख लक्षित लाभार्थियों को इस गंभीर बीमारी से बचाने के लिए 1350 टीम और 320 पर्यवेक्षकों के माध्यम से बूथ लगा कर एवं घर-घर जाकर इन दवाओं का सेवन सुनिश्चित करवाया जाएगा। दवाओं का वितरण बिल्कुल भी नहीं किया जायेगा।

फाइलेरिया उन्मूलन के नोडल व डिप्टी सीएमओ डॉ राकेश सिंह ने बताया कि इस बीमारी का कोई इलाज नहीं है। साल में एक बार और लगातार पांच साल तक फाइलेरिया रोधी दवा खाकर ही इस बीमारी से बचा जा सकता है।

सीडीओ ने फाइलेरिया रोधी दवाओं का सेवन कर अभियान का किया शुभारंभ

फाइलेरिया से बचाव की दवा का सेवन एक वर्ष के बच्चों, गर्भवती, एक माह के बच्चे वाली प्रसूता और गंभीर बीमार को छोड़कर सभी को करना है। एक से दो वर्ष की आयु के बच्चों को केवल एल्बेंडाजोल खिलाई जाएगी। साथ ही कहा कि फाइलेरिया रोधी दवाएं पूरी तरह सुरक्षित हैं।

हालांकि इन दवाओं का कोई विपरीत प्रभाव नहीं है, फिर भी किसी को दवा खाने के बाद उल्टी, चक्कर, खुजली या जी मिचलाने जैसे लक्षण होते हैं तो यह इस बात का प्रतीक हैं कि उस व्यक्ति के शरीर में फाइलेरिया के परजीवी मौजूद हैं। ऐसे लक्षण इन दवाओं के सेवन के उपरांत शरीर के भीतर परजीवियों के मरने के कारण उत्पन्न होते हैं।

सामान्यतः ये लक्षण स्वतः समाप्त हो जाते हैं परंतु ऐसी किसी भी परिस्थिति के लिए प्रशिक्षित रैपिड रिस्पॉन्स टीम (आरआरटी) भी बनाई गई है। आवश्यकता पड़ने पर आरआरटी को उपचार के लिए तुरंत बुलाया जा सकता है। इस मौके पर विद्यालय के शिक्षकों सहित छात्र छात्रायें व स्वास्थ्यकर्मियों ने भी फाइलेरिया रोधी दवाओं का सेवन किया।

रिपोर्ट-शिव प्रताप सिंह सेंगर

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