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साहित्य/वीडियो

तबादले की तलवार, कबाड़ियों का व्यापार

यदि बांध लिया पांव में घुंघरू तो स्टेज से क्या डर और नौकरी है सरकारी तो होता रहेगा ट्रांसफर। यदि आप सरकारी नौकरी में हैं तो ट्रांसफर रूपीअंश के दंश को झेलना लाजमी है।भले ही देर हो, लेकिन उलटफेर होना निश्चित है।जिस तरह सरकार आती जाती रहती है वैसे सरकारी ...

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क्या होटी डीवाली..?

निकिता ने जल्दी जल्दी इंस्टाग्राम ओपन किया, मेसेंजर पर देखने लगी ”लोरा का कोई मैसेज तो नही ”..। देखा! किन्तु कोई मैसेज नही था। जैसे ही निकिता ने – “हाय – लिखा” उधर लोरा ने भी हाय ! लिख दिया..। लोरा को ऑनलाइन देख निकिता खुश हो गई। नीकिता ने ...

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कशमकश और कब तक ?

वक्त कभी एक जैसा नहीं रहता जरूरी नहीं जो आज हमारी जिंदगी में बहुत खास हो जिसके बिना हम एक दिन क्या कुछ घंटे भी नहीं बिता पाते हैं, एक वक्त ऐसा आए कि हमें उनसे मिलने की ना उतनी खुशी हो ना उनसे दूर होने का कोई खास मलाल, ...

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हर दिन करवा चौथ

हर दिन करवा चौथ जिनके सच्चे प्यार ने, भर दी मन की थोथ । उनके जीवन में रहा, हर दिन करवा चौथ ।। हम ये सीखें चाँद से, होता है क्या प्यार । कुछ कमियों के दाग से, टूटे न ऐतबार ।। मन ने तेरा व्रत लिया, हुई चाँदनी शाम ...

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अल्फाज़ों का खेल सहज बनाईये

शब्दों के भावार्थ को समझने में दिमाग लगाना पड़े ऐसे लेखन को ज़्यादातर पाठक आधा छोड़ देते है, पढ़ते-पढ़ते लेखक की भावनाओं के साथ बहते चले जाए ऐसा लेखन हर कोई पसंद करता है। माना कि शब्दों की मायाजाल से उलझते कुछ भी लिख लेना साहित्य शिल्पीयों के बायें हाथ ...

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चिम्पी बिल्ली की शापिंग

जींस और टीशर्ट पहन कर चिम्पी बिल्ली तैयार हो गई थी। गोगल्स और स्पोर्ट्स शूज पहनने के बाद वह बहुत सुंदर लग रही थी। उसने मेकअप भी किया था। खुद को आईने में देख कर वह बहुत खुश हुई। इसी खुशी में उसने आईने से कहा, “आईना भाई, लग रही ...

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सिद्धांत

गांव के सबसे अमीर व्यक्ति बाबू हरदयाल जी के मुख से तीखे कठोर शब्दों को सुनने के पहले ही फूलन रामआज पहले ही अपने को किनारा कर लिया था। याद आ गया था उसे वह दिन जो अपने तीखे शब्दों के वार से उसके आत्मा को लहूलुहान कर दिया था-‘मांस ...

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स्वागत

आज एक बार फिर आईने के सामने खड़ी राशि का मन अशांत होने लगा। वह अपनी सासू मां रोहणी के साथ सोनोग्राफी के लिए हॉस्पिटल नहीं जाना चाहती थी क्योंकि वह भलीभांति जानती थी कि यदि इस बार भी उसके कोख में लड़की हुई तो पिछले बार कि तरह उसे ...

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बच्चों को भेड़ चाल का हिस्सा मत बनाइए

आज के दौर में अभिभावकों के अंदर अपने टहनी से नाजुक बच्चों को जल्दी से परिपक्व बनाने की ललक देखी जा रही है। मासूम मन के बच्चें डेढ़ दो साल के हुए नहीं की, डे केयर और नर्सरी में डालने की जल्दी होती है। खासकर कामकाजी महिलाओं के बच्चों से ...

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बुढ़िया का प्रेम 

मनुष्य एक विवेकशील प्राणी है, वह निरंतर चिंतन मनन करता रहता है। यदि जीवन को समझने का प्रयास किया जाए,तो वह किसी अजूबे से कम नहीं है।बुढ़िया का जीवन भी किसी अजूबे से कम नहीं था। वह जीवन के अंतिम चरण से गुजर रही थी चार पुत्र थे उसके। चारों ...

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