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साहित्य/वीडियो

चलिए भानगढ़ के रहस्यमयी सफ़र पर कहानीकार सुधांशू राय की दिल दहला देने वाली नई कहानी के साथ

सदियों से भूत-प्रेतों और आत्मानओं के अस्तित्व को लेकर सवाल उठते रहे हैं, लेकिन ऐसी ज्याोदातर चर्चाएं बेनतीजा रही हैं। जो लोग नई जगहों पर घूमना पसंद करते हैं और जिन्हें परालौकिक रहस्यों की छानबीन करने में भी मज़ा आता है, वे उन जगहों पर जाना पसंद करते हैं जो ...

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अपनी बोली अपना गांव

कोविड-19 के समय जब दे लाॅकडाउन में था और लोग घर से निकलने में संकोच करते थे उस समय सामान्यकाल से अधिक संगठन का कार्य हुआ। उसी अनुभव के आधार पर यह लेख) कोरोना (कोविड-19) एक ऐसा संकट है जिससे आज भारत ही नहीं बल्कि सम्पूर्ण विश्व इसकी चपेट में ...

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बरखा बहार

आशुतोष

बरखा बहार आई है बरखा बहार लाई बूदों की फूहार काली घटा उमर उमर खूब बरसे नगर नगर। काली- काली है बदली कड़क-कड़क गरजती धनघोर होके ये दखो कितनी जोर है बरसती। लबा लब हुए नदी नाले फैले चहुँ ओर हरियाली श्रृंगार कर धरती देखो चका-चक है चमकती । मेधो ...

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स्त्री होना आसान कहाँ!

स्त्री होना आसान कहाँ! सबको लगता है, आसान है एक स्त्री का स्त्री होना, न न साहब!, स्त्री होना आसान कहाँ होता है, कहाँ आसान होता है एक स्त्री का बेटी होना, बनना पड़ता है समझदार और संस्कारी बेटी बनने के लिए, आभारी होना पड़ता है माता-पिता का जन्म देने ...

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अभिलाषा

अभिलाषा (हास्य कविता) चाह नहीं साहित्य सम्मान से हे प्रभु नवाजा जाऊँ। चाह नहीं नोबेल प्राप्त कर कलम की धार पर इतराऊं। चाह नहीं पुस्तक छपवाकर वरिष्ठ लेखक मैं कहलाऊं । चाह नहीं सहयोग राशि के बूते साझा संकलन में नजर आऊँ। चाह नहीं प्रशंसा सुनकर भाग्य पे अपने इठलाऊं।। ...

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धूर्त चाइना

धूर्त चाइना सुनो चाइना अब तुझको ,हम ऐसा सबक सिखा देंगे कितनी ताकत है हममें ,ये दुनिया को हम बता  दंगे बीस सिपाही तुमने मारे , हम अब चालीस मारेंगे तेरे ही घर में घुसकर हम ,अब घर तझे निकालेंगे नाटा है तो नाटा ही रह, यूँ आँख लड़ा ना ...

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माँ

माँ आ रही है याद हर पल गाँव की। धूप में जलते वो’ नन्हें पाँव की। माँ मुझे तू याद इतनी आ रही। रात भी अब नींद के बिन जा रही। आँख से आंसू निकलते हैं मेरे। अब मुझे दर्शन मिलेंगे कब तेरे। धूल माथे कब लगालूँ पाँव की। आ ...

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सुन लो

अमित कु अम्बष्ट "आमिली"

सुन लो! वो जो खुद को रियासत का राजा समझता है। नावाक़िफ़ है लेकिन वो भी साज़िशों का हिस्सा है।। अकड़ उसकी औकात से बढ गयी हो भले लेकिन। है और कुछ नहीं फक़त तलवे चाटने का किस्सा है।। औरों की बर्बादी की उसकी जो ख़्वाहिश है। समझता नहीं बचपना ...

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पहला प्यार

पहला प्यार खून के खत से शेर चार लिखा था। मैंने पहला -पहला प्यार लिखा था।। रात को जब सोया था जी भर कर। तेरे चेहरे पर मेरा इजहार लिखा था।। छत पर तेरा आना और  मुस्कराना। दिल पर तेरा मैंने  इंतज़ार  लिखा था। भुला नहीं पाया मैं  पहली मुलाकात। ...

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ग्रामोफोन

संजय वर्मा "दृष्टि "

ग्रामोफोन पानी में कंकर फेकने से उठती तरंग गोल घेरों में ऐसे लगती जैसे पानी में ग्रामोफोन सजाया हो तट पर बैठ कर विचारों से उभरे गीत बार -बार फैंके गए कंकरों से हर बार नए रिकार्ड लगाने की अनुभूति महसूस करता हूँ ये तो महज पानी के बुलबुलों के ...

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