पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी ने रविवार को सरकार के वित्त विधेयक 2024 को अपनी मंजूरी दी। विपक्षी ने इसका विरोध करते हुए इसे आईएमएफ द्वारा संचालित दस्तावेज करार दिया था। विपक्ष ने कहा कि यह जनता के लिए नुकसानदेह है।वित्त मंत्री मुहम्मद औरंगजेब ने 12 जून को नेशनल असेंबली में बजट पेश किया था। जिसका विपक्षी दलों खासकर पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) ने विरोध किया था। साथ ही सत्तारूढ़ गठबंधन सहयोगी पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) ने भी इसकी आलोचना की थी।
संसद ने शुक्रवार को वित्त वर्ष 2024-25 के लिए 18,877 अरब रुपये का बजट पारित किया। इसमें सरकार के व्यय और आय का विवरण था। विपक्षी दलों ने बजट को यह कहते हुए खारिज किया था कि इससे बहुत ज्यादा महंगाई होगी।
नेशनल असेंबली के सत्र के दौरान विपक्षी सांसदों ने बजट की आलोचना करते हुए कहा था कि इसे अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) द्वारा तय किया गया है। विपक्ष के नेता उमर अयूब खान ने बजट की निंदा करते हुए इसे लोगों के खिलाफ आर्थिक आतंकवाद करार दिया था।
इस हफ्ते की शुरुआत में पूर्व विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी के नेतृत्व वाली पीपीपी ने फैसला किया कि वह कुछ आपत्तियों के बावजूद वित्त विधेयक के लिए मतदान करेगी। पीपीपी ने शुरुआत में बजट का विरोध किया था।नेशनल असेंबली में शुक्रवार को कुछ संशोधन के साथ बजट पारित किया गया। डॉन अखबार की खबर के मुताबिक, विपक्ष ने इसके खिलाफ आक्रामक भाषण दिए और बजट को अवास्तविक, जनविरोधी, उद्योग विरोधी और कृषि विरोध बताया।
राष्ट्रपति भवन की मीडिया शाखा ने कहा कि राष्ट्रपति जरदारी ने रविवार को संविधान के अनुच्छेद 75 के तहत विधेयक को मंजूदी दी और कहा कि यह विधेयक एक जुलाई से लागू होगा। अनुच्छेद 75 (1) के तहत राष्ट्रपति के पास वित्त विधेयक मंजूर न करने या उस पर आपत्ति करने की कोई शक्ति नहीं है।
वित्त मंत्री ने माना- बजट में नए करों से तनाव में लोग
इस बीच, पाकिस्तान के वित्त मंत्री औरंगजेब ने माना कि बजट में लगाए गए करों के कारण लोग तनाव में हैं। सरकार के राजस्व उपायों की लगभग सभी ने आलोचना की थी। उनकी यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है, जब राष्ट्रपति जरदारी ने संविधान के अनुच्छेद 75 के तहत प्रधानमंत्री के सलाह पर कर आधारित वित्त विधेयक 2024 को अपनी मंजूरी दी है। राष्ट्रपति सचिवालय की प्रेस विज्ञप्ति के मुताबिक यह विधेयक एक जुलाई से प्रभावी होगा।
एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए औरंगजेब ने कहा कि वह समझते हैं कि वेतनभोगी वर्ग विशेष रूप से नए करों से वित्तीय तनाव का सामना कर रहा है। उन्होंने किसी भी तरह की वित्तीय राहत संभव होने पर वेतनभोगी लोगों को राहत देने का वादा किया। उन्होंने कहा, मैं उस तनाव को पूरी तरह समझता हूं जो विभिन्न क्षेत्रों के लोग अतिरिक्त करों क लेकर महसूस कर रहे हैं। मैं उनके लिए पूरी तरह से सहानुभूति रखता हूं। लेकिन हमें इसके लिए काम करने की जरूरत है।