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शिक्षित बेटियां ही आगे जाकर माँ की भूमिका में बच्चों को अच्छे संस्कार दे सकती हैं: राज्यपाल

डॉ दिलीप अग्निहोत्री
 डॉ. दिलीप अग्निहोत्री

राज्यपाल आनन्दी बेन पटेल स्वयं शिक्षिका रही है। उस समय भी वह अपने विद्यार्थियों को पढ़ाई के साथ समाज व राष्ट्र सेवा के प्रति जागरूक करती थी। बालिकाओं को वह विशेष रूप से अध्ययन हेतु प्रेरित करती थी। अब कुलाधिपति के रूप में उनका दीक्षांत संबोधन शैक्षणिक रूप से भी महत्वपूर्ण रहता है। वह विद्यार्थियों को बेहतर जीवन का सन्देश देती है। बालिकाओं से उन्होंने कहा कि वह अपने अधिकारों को समझें। समाज में उन महिलाओं तक भी पहुंचाएं जो किन्ही कारणों से स्तरीय शिक्षा प्राप्त नहीं कर पायीं हैं। बेटियों की शिक्षा आवश्यक है। शिक्षित बेटियां ही आगे जाकर माँ की भूमिका में बच्चों को अच्छे संस्कार देती हैं और इस प्रकार देश को सभ्य नागरिक देती हैं। आनंदीबेन पटेल ने वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय,जौनपुर के पच्चीसवें दीक्षांत समारोह को सम्बोधित किया।

आनन्दी बेन की प्रेरणा से दीक्षांत समारोहों में छोटे बच्चों को भी आमंत्रित किया जाता है। उत्तर प्रदेश के विश्वविद्यालयों में यह परम्परा बन गई है। उनका कहना है कि दीक्षांत समारोह को देख कर बच्चे पढ़ाई के प्रति प्रेरित होते है। इस सोच के साथ बच्चों को आमंत्रित किया जाता है। जब बच्चे दीक्षांत समारोह में गोल्ड मेडल पाने वालों को देखतें है तो उनमें उन जैसा बनने की चाहत होती है।

उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों के लिए दीक्षांत समारोह उनकी शैक्षणिक यात्रा का महत्वपूर्ण अंश होता है। यह अवसर उनकी मेहनत एवं उपलब्धियों का प्रतीक है। यहाँ से जीवन की एक यात्रा का आरम्भ होता है। जब विद्यार्थी इस अर्जित शिक्षा का उपयोग कर जनमानस की सेवा करता है। उन्होंने विद्यार्थियों की प्रगति व सफलता की कामना की।

विश्वास व्यक्त किया कि विद्यार्थी अपने परिवार के साथ साथ राष्ट्र व समाज के उत्थान में भी अपना बहुमूल्य योगदान देंगे। मेधावियों को यहां पैसठ गोल्ड मेडल दिये गये जिसमें से पचहत्तर प्रतिशत मेडल बेटियों ने प्राप्त किये हैं। यह स्थिति काफी अच्छी है। बेटियां आगे बढ़ रहीं हैं। आज के वातावरण में सोच और समझ में परिवर्तन आया है।

उसी से बेटियां आगे बढ़ी हैं। मुख्य अतिथि पद्मश्री प्रो. जे.एस. राजपूत ने कहा कि ज्ञान से पवित्र कुछ नहीं है। शिक्षा चरित्र निर्माण के लिए होनी चाहिए। शिक्षा अध्ययन, मनन,चिंतन और उपयोग के लिए होनी चाहिए। शिक्षा जीवनपर्यंत सीखने की बात है।

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